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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday 15 July 2012

बेवफाई bewafai

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बेवफाई ये कैसी कि है तुने
लुट के ले गई मेरा चैन और सुकून सारा
जाना ही था तो आई क्यों जिंदगी में
बड़ा दर्द दे रहा है ये खेल तुम्हारा

जान देते थे हम तेरी एक हँसी के लिए
तेरी हर मुस्कराहट था हमको प्यारा
जाने तुमने क्या सोचकर ये कदम उठाया
तुम न जाती तो एक सुन्दर सा घर होता हमारा

तेरे दिए दर्द से आँसू न रुक रहे है मेरे
तेरी जुदाई ने हर खुशियों को है मारा
तेरी याद मुझे तड़पा रही है
ढूँढ रहा हू मै कोई सहारा

दूर क्यों हो लौट आओ तुम
इंतज़ार है अभी भी समझ लो ये इशारा
तेरे लिए बदला था मैंने अपने को
ऐसा ही रहा तो कही मर न जाऊ मै  कुंवारा 

Saturday 14 July 2012

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए

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शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

उतर आया है इस जमीं पे आज
भगवान भी मानव बनकर
अपने सद्कर्मो से
भारत के लोगो का, सोये भाग्य जगाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

बहुत सह लिए अन्याय हम
दर्द अब नहीं हो रहा कम
मानवता का निकल रहा दम
निकले है चंद लोग, भारत को बचाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

आँखें मुंदी सरकार है
अब चुप बैठना बेकार है
मिटने को हम तैयार है
समय आ पंहुचा है, इस देश पर कुर्बान हो जाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए


एक अजीब सी बेचैनी छाई है

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एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

डूबा रहता हू तेरी यादों में दिनभर
जीना हो गया है मेरा दुर्भर
जब तक तू मुझसे जुदा रहेगी
तन्हाइयों में डूबा ये फिजा रहेगी

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

तेरी यादें ही मुझे जिंदा रखी है
कभी खुशी तो कभी आँखों में आँसू देती है
तुझे भुलाने कि कोशिश कि मैंने बहुत
पर तू कभी ख्वाब तो कभी याद बनकर हर वक्त साथ रही है

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

आँखें इंतज़ार कर रही है तेरे आने की
दिल भूल नहीं पाया है दर्द तेरे जाने की
अब तो लौटकर आ जा
मेरे दिल को यु इतना न तड़पा

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है


आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है (Today life is testing again)

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आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

घिरा हू मुश्किलों से मै अब
सबसे ज्यादा जरुरत थी तब
साथ छोड़ गए है सब
अब तो आँसू भी न रुक रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

जाने कितनी लंबी होगी ये काली रात
समझ आ रहा है केवल एक बात
सहना है मुझे वो सब जो हो रहा मेरे साथ
रुकना नहीं है राह में ये दिल मुझसे कह रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

कई कांटे चुभे है पांव में
चैन नहीं है अब पेड़ों कि छाँव में
समतल सडको में भी फिसल जा रहे है हम
सुकून देती थी जो अब वो भी दर्द जिंदगी में भर रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है


Monday 9 July 2012

आग (Fire)

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धधक रही है आग
उड़ा रही है राख
पूरी दुनिया में फैलने को
बेकरार है ये आग

जो भी इस आग के सामने आएगा
ख़ाक में मिल जाएगा
मामूली नहीं है ये आग
कह रही है ये राख

बरसो बाद जली है ये
कांटो में पली है ये
अब बुझने वाली नहीं है ये आग
जब तक दुश्मनों को न कर दे सुपुर्देखाक

परिवर्तन ले के आई है ये
दुनिया को बदल जायेगी ये
एक नई व्यवस्था लाने
आई है ये आग 

ना जाने क्यों मै डरता हू

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जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू

पहला दिन स्कुल का
जैसे सजा मिल रही हो किसी बड़ी भूल का
पहली बार जब हाथ में लिया साईकिल
सर से पाँव तक मै गया हिल

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू


पहली बार गाँव के बाहर स्कुल में पढ़ना
जैसे लग रहा था मुझे है कोई जंग लड़ना
कालेज का वो पहला दिन
लगता था जैसे पूरी ताकत गया है छीन

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू


पहली बार का साक्षात्कार
लग रहा था जैसे हू मै कोई गुनाहगार
पहला दिन नौकरी का
हाल ऐसा था जैसे जरुरत से ज्यादा भरे टोकरी का

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है

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आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

आज निकले है चंद लोग देश बचाने के लिए
हो रहे घोटालों से मुक्ति दिलाने के लिए
अपनी जान गवाकर लोगो कि खुशियाँ लौटाने के लिए
देश के लिए फ़ना होने वाली सरफरोशी कि आस है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

भारत माँ का आँचल है मैला हो चूका
सोने कि चिड़िया कहलाने का हक है खो चूका
जनता भी अब बहुत रो चुकी
जो अब भी नहीं जागा वो एक लाश है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

रिश्वतखोरी कि जड़े है बहुत गहरी
भ्रष्टाचार है लोगो के दिलोदिमाग में भरी
पुकार रहा है अपना ये जमीं
जो देश के लिए मिटेगा वो एक खास है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है


Wednesday 4 July 2012

एक अनाथ कि भावनाए (Feelings of an orphan)

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दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

अपना कोई है नहीं, पराया किसी को कहते नहीं
मिलता है जो खुशी से, मिलते है हम भी हँसी से
तन्हाई से है प्यार, किसी का न इंतज़ार
कभी शहर तो कभी पेशा बदल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

मेहनत कि खाता हू, चैन से सो जाता हू
घर कभी बनाया नहीं, रह लेता हू मै हर कही
करता हू काम सच्चाई से, प्यार है अच्छाई से
माँ कि ममता के लिए तिल तिल पिघल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

गाडी बंगले का शौक नहीं, सादा जीवन ही सही
नहीं है मुझमे कोई व्यसन, जो भी कपडे मिल जाये लेता हू पहन
अनजान है ये डगर ,अनजान है ये सफर
देखकर दूसरे परिवारों को इर्ष्या से जल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू


स्वतंत्रता दिवस (Independence Day)

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स्वतंत्रता दिवस जब आता है
हम सब में जोश भर जाता है
लाखों ने दी थी अपनी कुर्बानी
कइयो ने न्योछावर कि अपनी जवानी

वीरो ने लड़ी थी ये लड़ाई
सदियों बाद हमें जीत मिल पाई
कोई नहीं कर पायेगा उनकी भरपाई
जिन्होंने आजादी कि लड़ाई में जान गवाई

आज भी हमें याद है वो
आजादी के लिए लड़े थे जो
पर देश कि सरकार रही है सो
आजादी का सही मतलब रहा है खो

आमजनो कि आजादी रही है छीन
बर्ताव हो रहा इनके साथ औरो से भिन्न
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाए
सब रहे खुशी से ऐसा परिवेश बनाए

किसान (Former)

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मै एक किसान हू
बारिश न होने से परेशान हू
उगाता सब्जियां और धान हू
आधुनिक तकनीक से अनजान हू

मेहनत करता हू दिन रात
तब जाकर उगता है अनाज
हल चलाकर बोता हू बीज
गाय और बैल है मेरे मीत

कीट पतंगे और चूहे
दुश्मन है ये हमारे
मेरे उगाए अनाज से ही
पेट भरते है तुम्हारे

चाहे सुखा हो या बाढ़
दोनों लाते है दुखो का पहाड़
जूझ रहे है हम कमियों से
ठगे जा रहे है बिचौलियों से 

Tuesday 3 July 2012

डरता हू मै कहीं मेरे दामन में दाग न लग जाए

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डरता हू मै कहीं मेरे दामन में दाग न लग जाए
डरता हू मै कहीं लोग मुझे बेईमान कहकर न बुलाये
इसीलिए अपने कर्मो को साफ़ सुथरा रखता हू
जो मेरे जमीर को भाये वही काम करता हू
भ्रष्टाचार के नाम से ही चिढ आती है
गद्दारों कि संगत मुझे नहीं भाती है
आज ऊपर से नीचे तक हर कोई रिश्वत ले रहा
आम आदमी अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा दे रहा
एक गरीब को साबित करने के लिए कि वो गरीब है
पैसा दे रहा ये कैसा उसका नसीब है
भ्रष्टाचारियों ने एक ऐसा किला है बनाया
जिसको आज तक कोई भेद नहीं पाया
निकला हू मै इसे उजाड़ने
सच्चाई और इमानदारी का झंडा गाड़ने 

शिक्षक (Teacher)

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देश के आधार स्तंभ है शिक्षक
यही तो बनाते है इंजीनीयर और चिकित्सक
अक्षरों को लिखना ये बताते
शब्दों को पढ़ना है सिखाते
बच्चो के है भाग्य निर्माता
कहते है सब इनको विधाता
सीधा सरल जीवन है इनका
करते है भलाई सबका
पक्षपात के बिना काम है करते
हमारी जीवनशैली का निर्माण है करते
स्वच्छता का है पाठ पढाते
सच झूठ को है पहचान जाते
गलतियों पर शिक्षकों का डटना फटकारना
जैसे सहारा देकर घड़े को कुम्हार का मारना
बड़ा महान है इनका काम
पुरे शिक्षक जाति को हमारा सलाम 

नेताजी (Politician)

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नेताजी है बड़े चतुर
चुनाव लड़ने रहते आतुर
लोगो को झूठे वादों में फसाते है
चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते है
भोलीभाली जनता को बेवकूफ बनाते है
झोलियाँ अपनी भरते जाते है
केवल चुनाव के समय ही दीखते है
बाकी समय तो विदेश में फिरते है
उज्जवल कपड़ो में हमेशा रहते है
करम उतने ही बुरे करते है
भ्रष्टाचार इनके लिए आम बात है
अय्याशी में गुजरती हर रात है
पाल के रखते है ये गुंडे
एक नहीं कई मुस्टंडे
जो बोले इनके खिलाफ
बंद कर देते उसकी आवाज़ 

Monday 2 July 2012

हाथो कि लकीरों पे मत यकीन करना

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हाथो कि लकीरों पे मत यकीन करना
ये तो बदलती रहती है
जिनके हाथ नहीं हुआ करते
उनकी भी जिंदगी चलती है

तेरे अपने करम ही
तेरा भविष्य लिखेंगे
बिना हवा चले तो
पत्ते भी न हिल सकेंगे

उठा औजार अपनी
और अपने कर्मो से लिख एक ऐसी कहानी
रखे लोग याद तुझे
चाहे पीढ़ियां हो जाए कितनी भी पुरानी

रास्ते में अगर आया कोई तूफ़ान
तो तू मन में ले ये ठान
अब जो भी हो अंजाम
पूरा करूँगा अपना काम 

Sunday 1 July 2012

तुझे किसी से डरना नहीं है (you have not afraid of anyone)

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तू वीर है इस जहाँ का , तुमसा कोई दूसरा नहीं है
तुझसे ही जुडी है लोगो कि आशाएं , तुझे किसी से डरना नहीं है

मुश्किलें हो अगर पर्वत सी बड़ी, चाहे जान पर बन आये तेरी
हौसला कर ले अपनी मैदान सी चौड़ी, तुझे कभी झुकना नहीं है

अगर राह है कांटो से भरी, और चलना है तुझे नंगे पांव
तो सर पे कफ़न बाँध ले अपनी, तुझे कभी मुडना नहीं है

मुकाबला हो चाहे ताकतवर गद्दार से, या हो पुरे संसार से
चाहे साथ न मिले किसी का,पर तुझे हारना नहीं है

हाथ लिए घातक हथियार, कोई करता रहे अन्याय अगर
चाहे सेना हो उसकी कितनी भी बड़ी, पर तुझे सहना नहीं है

बाढ़ (Flood)

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ये जो तबाही है
जो बाढ़ लेके आयी है
हर ओर बस पानी दिखता है
फिर कुछ न मन में सूझता है
जलमग्न हो गए है सब घर
हो गए है लाखो बेघर
कोई अपना बच्चा ढूंड रहा है
तो कोई अपनी माँ तलाश रहा है
देखते है हम जब इधर उधर
पानी में बह लाश रहा है
कई लोग पेडों के ऊपर है
संग सांप और अजगर है
कई उपरी टीले में बैठे है
भोजन कि आस में कई दिनों से भूखे है
राहत कार्य जब पहुंचा उनके पास
तब आयी उनके साँस में साँस
हो चुके थे सब उदास
अब जगी है जीने कि आस

जिंदगी (Life)

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ये जिंदगी भी अजीब है
सबका अपना अपना नसीब है
खुशिया मिले तो खुशनसीब है
गम मिले तो बदनसीब है

कभी हसाती है तो कभी रुलाती है
हमेशा कुछ नया कर जाती है
कभी लिखाती है तो कभी पढ़ाती है
जिंदगी हमें बहुत कुछ सिखाती है

समझना है इसको बड़ा मुश्किल
जाने कब किसको क्या जाए मिल
मैंने एक बात तो जाना है
दुःख के बाद सुख तो आना है

अब सुन लो मेरी बात
इसको रखना तुम याद
जिंदगी को जीना भरपूर
न रहना कभी बनके मजबूर 

जाने किस गलती कि सजा पा रहा हू (What is the mistake being punished)

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जाने किस गलती कि सजा पा रहा हू
क्यों मै ऐसे तड़प सा रहा हू
ज़हर जिंदगी का पिए जा रहा हू
क्यों मै ऐसे जिए जा रहा हू

रातो में चैन कि नींद नहीं मिलती
दिन में भी सुकून नहीं मिलती
हम काम करे तो कैसे करे
अब तो वो जूनून भी नहीं मिलती

अच्छे कामो के भी बुरे परिणाम निकल जाते है
सच बोलकर भी हम झूठे कहलाते है
अपनों के बीच में पराये हम बन जाते है
भीड़ में भी तन्हा हम अपने को पाते है

सब कुछ तो खो दिया है हमने
अब तो बहुत रो लिया है हमने
कब गुजरेगी ये काली रात
कब होगी खुशियों कि बरसात 

वो लड़की (That Girl)

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चांदनी से सराबोर वो हसीन रात
याद है मुझे उसकी हर एक बात
उसका हर शब्दों के बाद पलके झपकाना
हर बात पे उसका यु मुस्कुराना

झिलमिल सितारों से भरी आसमान
दिल में जगा रहे थे कई अरमान
घूर रहा था उसको मै होके हैरान
मज़ा आ रहा था करने में उसको परेशान

सरगम सी सुरीली उसकी आवाज़
छेड रहे थे दिल में कई साज
उठकर जब वो जाने लगी
आँखों में मेरे आंसू आने लगी

छोड़ गयी अपनी यादो कि बारात
जाने फिर कब मिलना होगा उसके साथ
जब भी वो याद आती है
दिल को बड़ा तडपाती है


Friday 29 June 2012

जनता का नौकर आज जनता का राजा बना है (Public servant has become a king of public)

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जनता का नौकर आज जनता का राजा बना है
सच है ये बात कि आज इमानदारी से काम करना मना है

गुंडागर्दी आज एक सद्गुण है
सदाचार आज एक अवगुण है
नेता वही बनता है
जो बेईमानी में निपुण है

जनता का नौकर आज जनता का राजा बना है
सच है ये बात कि आज इमानदारी से काम करना मना है

चापलूसी करना जिनका काम है
आज उन्ही अफसरों का नाम है
सिध्दान्तो और वसूलो में चलनेवाले
तो आज बदनाम है

जनता का नौकर आज जनता का राजा बना है
सच है ये बात कि आज इमानदारी से काम करना मना है

जो झूठ बोलते है और ठगी करते है
आज वही तो अमीर बनते है
सच्चाई कि राह में जो चलते है
जिंदगी भर गरीब रहते है

जनता का नौकर आज जनता का राजा बना है
सच है ये बात कि आज इमानदारी से काम करना मना है


पूरा होगा तेरा ये सफर (Your Journey will complete)

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काम ऐसा कर
कि तेरे बारे में लिखा जाय
बुलंदियों में पहुच इतना
कि तेरे बारे में पढ़ा जाय

सच्चाई कि राह में तू जा निकल
मुश्किलें आये तो बन जा अटल
कांटो भरी रहेंगी तेरी ये डगर
पर तू कदम दर कदम बस बढता चल , बस बढता चल

रोकेंगे अपने भी तुझे
पर तू कभी रुकना नहीं
होगी हर घडी परीक्षा तेरी
पर तू कभी झुकना नहीं

कर विश्वास अपनी ताकत पर
और बन जा निडर
तेरे हौसले से ही
पूरा होगा तेरा ये सफर


एक ख्वाब को पूरा करने के लिए जी रहा हू (Only living to fulfill a dream)

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एक ख्वाब को पूरा करने के लिए जी रहा हू
ज़हर जिंदगी का मै किश्तों में पी रहा हू

ख्वाब है एक नया भारत बनाने का
अपनी सोच को आजमाने का
मै चाहता हू एक ऐसा देश
जहा हो अति सुन्दर परिवेश

एक ख्वाब को पूरा करने के लिए जी रहा हू
ज़हर जिंदगी का मै किश्तों में पी रहा हू

मिलकर रहे सभी धरम
अच्छे हो सबके करम
गरीबी और भुखमरी का न हो नामोनिशान
जिंदगी चले सबकी आसान

एक ख्वाब को पूरा करने के लिए जी रहा हू
ज़हर जिंदगी का मै किश्तों में पी रहा हू

राजनितिक हो विशुद्ध
देश की प्रगति हो उनका कर्मयुद्ध
जनता हो सर्वोपरि
काश हो जाए ऐसी जादूगरी

एक ख्वाब को पूरा करने के लिए जी रहा हू
ज़हर जिंदगी का मै किश्तों में पी रहा हू




Wednesday 27 June 2012

कब तक युहीं सोये रहोगे (How long will You sleep)

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कब तक युहीं सोये रहोगे
पुरानी यादों में खोये रहोगे

अब तो जाग जाओ
अब तो होश में आओ
देश क़ुरबानी मांग रहा है
तेरी ये जवानी मांग रहा है
कब तक युहीं सोये रहोगे
पुरानी यादों में खोये रहोगे

सच्चाई का गला घोटकर
लुट रहे है इसे अपने ही वतनवाले
देश बचाने के लिए निकले
कहाँ चले गए वो कफ़नवाले
कब तक युहीं सोये रहोगे
पुरानी यादों में खोये रहोगे

तेरी जरुरत है आन पड़ी
देश बचाने की समस्या है सामने खड़ी
तू जाग और सबको जगा
मिले सम्पूर्ण आज़ादी ऐसी क्रांति ला
कब तक युहीं सोये रहोगे
पुरानी यादों में खोये रहोगे


जंगल (Forest)

1 comment:
एक घनघोर जंगल
नदियाँ बहती है इसमें कल कल
पंक्षियाँ मधुर गीत गाती है
जंगल की हरियाली हमें लुभाती है
सभी प्रकार के है जीव जंतु
कुछ जहरीले है परन्तु
शेर जब गुर्राता है
पूरा जंगल दहल जाता है
जब चलता है हाथी
हिलती है जंगल की धरती
जंगल में सजे है रंग बिरंगे फूल
देखो कहीं रास्ता न जाना भूल
यहाँ है नाना प्रकार के पेड़
साल सागौन और खेर

Monday 25 June 2012

आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये (We have come together to create a world)

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आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

जहा हर कोई आजाद हो
किसी की ज़िन्दगी न बरबाद हो
जहा हर किसी के सपने पुरे हो
कोई ख्वाहिश न अधूरे हो
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

एक ऐसा सुन्दर परिवेश हो
जिसमे किसी का किसी से न द्वेष हो
जहा झूठ का न हो नामोनिशान
सच बोलकर बने हर कोई महान
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

जहा पैसे से ज्यादा प्यार की अहमियत हो
सबके दिल में नेकी की नियत हो
जहा बड़ो का आदर हो
पर छोटो का न निरादर हो
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

पर दिल में है एक तूफ़ान (There is storm in my heart)

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खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

सहनशक्ति है अपना धैर्य खो चुकी
मानवता भी अब बहुत रो चुकी
अन्याय अब कोई न सहन होगा
मानवता भी अब कही न दफ़न होगा
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

भ्रष्टाचारियो पर अब लगेगी लगाम
रिश्वतखोरी का होगा काम तमाम
हम करेंगे ऐसा काम
की भारत का हो ऊँचा नाम
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

न्याय के लिए अब संघर्ष होगा
बलिदान देश के लिए सहर्ष होगा
अब साथ मिलकर चलना होगा
अधिकारों के लिए लड़ना होगा
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान


सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र (It is a conspiracy hatched by some politicians)

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सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जाति पाति और धर्म का भेद बढ़ाते है
हमें आपस में लड़ाते है
वोट की राजनीती कर भरपूर फायदा उठाते है
और चुनाव जीतकर संसद में पहुच जाते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

गुंडागर्दी करते न आती इनको शरम
भ्रष्टाचार करना है इनका प्रमुख करम
मुनाफावसूली को देते है बढावा
रिश्वत लेना है इनका प्रमुख चढ़ावा
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जनता का पैसा अपने अय्याशी में उड़ाते है
बिना मतलब के विदेश दौरे में जाते है
उद्द्योगपतियो को पैसो के लिए धमकाते है
कुछ छोटे मोटे काम कर अपने को धर्मात्मा बताते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र  

कोशिश कर रहा हु (I am trying)

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इंसान की खामोशियाँ भी कहती है बहुत कुछ
मै इन खामोशियो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की आँखें बात करती है तो कोई इशारो से बात करता है
मै इनके भावो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की हलकी सी आवाज़ में भी कशिश होती है बहुत
मै अपने लब्जो में कशिश भरने की कोशिश कर रहा हु

कभी किसी का मासूम सा चेहरा आकर्षित करता है बहुत
मै हर चेहरे से आकर्षित होने की कोशिश कर रहा हु

कोई अँधेरे से डरता है तो कोई अँधेरे में जीता है
मै अँधेरा हटा उजाला करने की कोशिश कर रहा हु

समुन्दर में आया तूफान है मै बीच मजधार में फ़सा हु
मै अपनी नाव किनारे लाने की कोशिश कर रहा हु 


Sunday 24 June 2012

शादी (Marriage)

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शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

ये तो दो परिवारों का संगम है
दृश्य शादी का तो विहंगम है
दो परिवार एक हो जाते है
मन में कई सपने सजाते है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

दुल्हे को अच्छी दुल्हन की तलाश होती है
तो दुल्हन को दुल्हे से बहुत सी आस होती है
सज धज के दूल्हा दुल्हन लेने आता है
संग दिल में कई अरमान लाता है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

बेटी बाबुल का घर छोड़ पिया घर जाती है
परायी घर को अपना बनाती है
आँख में आंसू मन में संकोच होती है
बाबुल का घर हमेशा के लिए खोती है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

Saturday 23 June 2012

और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण (And they say Bharat Nirman is going on)

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ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

महंगाई करो कम ,जनता कर रही ये पुकार
कम होने के बजाय ले रहा ये दैत्याकार
बढती बेरोजगारी से मचा है हाहाकार
ये सब देखते हुए भी चुप बैठी है सरकार
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

अपराधियों को सजा न मिल पा रही
गुंडागर्दी दिनोदिन बढते जा रही
न्याय के चौखट पर अन्याय हो रही
पर सरकार तो चैन की नींद सो रही
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

किसान और मजदुर आज तड़प रहा
उनकी मेहनत का सही कीमत न मिल रहा
लोग इलाज की कमी में मर रहे
क्योकि डाक्टर समय से न मिल रहे
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

Friday 22 June 2012

भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर (corrupt politician and dishonest officer)

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भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

जनता को ठेंगा दिखाकर
कोठियां भरते है अपनी
जो इनके खिलाफ बोले
देते ये उन्हें धमकी चमकी
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

सडको को कागजो में बनाकर
मरम्मत का भी पैसा निकालते
गरीबो तक आनाज पहुचने से पहले
ये सारा माल है बेच डालते
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

इमानदारी से कोई करे काम
तो करते है ये उसका जीना हराम
अपनी शक्ति का दुरूपयोग है करते
आमजन को डराते फिरते
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

प्रकृति बाते करती है मुझसे (Nature talks with me)

7 comments:
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पानी कहती है
जिस रंग में मिलो उस रंग का हो जाओ
बादल कहती है
सुखा मिटाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
हवा कहती है
बढते चले जाओ
आग कहती है
दुसरो के लिए अपने को जलाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पर्वत कहती है
अपने को ऊपर उठाओ
पेड़ कहती है
दुसरो को शीतलता पहुचाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे

प्रकृति (Nature)

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ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये कान के पास से गुजरती हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचती मोर
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये चांदनी रात
ये तारों की बरसात
ये खिले हुए सुन्दर फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे


Wednesday 20 June 2012

ज़िन्दगी एक पहेली है (Life is a puzzle)

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ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है

सुख और दुःख दो साथी है
मस्ती में जियो तो एक झाकी है
गम के बाद ख़ुशी तो आनी होती है
हर ज़िन्दगी की अपनी एक कहानी होती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है

बुरे दिनों में रुलाती है
तो अच्छे दिनों  में हसाती है
समय समय  में तडपाती है
तो कभी कभी मुस्कुराती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो  एक सहेली है

पाठ नए नए पढ़ाती है
हमेशा कुछ नया सिखाती है
कभी पुरानी यादे ताजा कर जाती है
तो कभी भविष्य की चेतावनी दे जाती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है




पर खुद को बदलने से मै डरता हु (I have been afraid of changing myself)

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दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

परिवर्तन तो तब आएगा
जब ऐशो आराम की ज़िन्दगी को छोड़ा जायेगा
दर्द के साथ जीना होगा
हर गम को पीना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

ज्ञान को बढाना होगा
अज्ञानता को दूर भगाना होगा
अग्निपथ पे बढते जाना होगा
मुश्किलों से टकराना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

सादा जीवन बिताना होगा
उच्च विचार बनाना होगा
माया मोह का त्याग कर जाना होगा
सन्यास धर्म अपनाना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु


Tuesday 19 June 2012

परीक्षा

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परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

बड़ी बड़ी किताबों में छोटे छोटे नियम
रेत के ढेर में सुई ढूढने जैसे करम
पास्कल का नियम हो या न्यूटन का
ये सब कारण है हमारे घुटन का
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

रेखागणित समझ नहीं आता
प्रश्न हल करते वक़्त है अँधेरा छाता
इतिहास तो नहीं होता याद
आखिर किससे करे हम फरियाद
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

भूगोल के अक्षांश देशांश
करते है हमको परेशान
संस्कृत के शब्द है कठिनतम
जिसको याद नहीं कर पाते हम
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

अंग्रेजी का बोझ भारी है
क्योकि परायी भाषा ये हमारी है
हिंदी हमको प्यारी है
क्योकि मातृभाषा ये हमारी है
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

सोचता हु कवि बन जाऊ (I have been thinking of becoming a poet)

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जी करता है कुछ ऐसा कर जाऊ
की जग में अपना नाम कमाऊ
सोचता हु की कवि बन जाऊ
अच्छी कविताये लोगो को सुनाऊ
पर समझ नहीं आ रहा क्या लिखू
किस चीज़ के बारे में कहू
सकारात्मक लिखू या नकारात्मक
हास्यास्पद लिखू  या व्यंग्यात्मक
लिखने के लिए बहुत सारे विषय है
तेजी से बीत रहा समय है
चलो आमजन की ज़िन्दगी को चुनता हु
क्योकि इस विषय पर बहुत कम सुनता हु
नया होता है रोज इनकी ज़िन्दगी में
भले ही रहते है ये गन्दगी में
उच्च आदर्शो में ये चलते है
भले ही रोज गिरते गिरते सम्हलते है
जीवन में खूब संघर्ष ये करते है
दिनभर मेहनत करके दो वक्त का पेट भरते है

एक शाम बड़ी सुहानी थी (A evening was very pleasant )

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एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

सूरज धीरे धीरे ढल रहा था
देख के उसको मेरा दिल मचल रहा था
आसमान में लालिमा छाई थी
प्रकृति सबसे सुन्दर रूप में आई थी
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

समुन्दर किनारे बैठे थे हम
दोस्तों के बीच बाँट रहे थे गम
लहरे गुनगुना रही थी
दिल में हलचल मचा रही थी
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

शुरू जब चुटकुलों का दौर हुआ
ठहाको का शोर चारो ओर हुआ
मौसम का लुफ्त उठाया हमने
जब मिलकर गीत गाया सबने
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

Monday 18 June 2012

थक कर रुकना न कभी यूँही डगर में

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थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
मुश्किलों से भरी है राहें तेरी
पर ये बात मान ले मेरी
हथियार कभी डालना नहीं
हार कभी मानना नहीं
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
जो रुकता नहीं राहों में
जीत होती है उसकी बांहों में
तू हर वक़्त रह तैयार
तेरी ही ओर चलेगी हर बयार
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
तूफान तेरा रास्ता क्या रोक पायेगा
जब तू हिम्मत से बढ़ता जायेगा
समुन्दर की लहरे भी तेरा रास्ता न रोक पाएंगी
तेरा हौसला तेरी नाव को किनारे तक लायेंगी
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में

Friday 15 June 2012

ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है (Life tends to be incomplete)

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ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

समझ नहीं आ रहा किसकी तलाश है
क्यों लगता हर समय प्यास है
अँधेरे में रौशनी की तलाश है
तो उजाले में छाया की आस है
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

हमेशा कुछ नया करने की सोचता हु
पर पुरानी गलियों में ही भटकता हु
ज़िन्दगी खाली खाली सी लगती है
ऐसा क्या है जिसको पाने के लिए भटकती है
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

मंजिल मेरे लिए नहीं है
सोचकर रास्ता बदल जाता हु
किस मंजिल को पाने की कोशिश करू
मै समझ नहीं पाता हु
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

उठो जागो और संघर्ष करो (Wake up and fight)

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उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

कंटीली है राहें बहुत
पर तुझे रुकना नहीं है
दुश्मन करेगा झुकाने की कोशिश बहुत
पर तुझे झुकना नहीं है
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

भारत पहुंचे शीर्ष पर
रखो मन में केवल यही ध्येय
जो भी कठिनाई आये राहो में
कर ले तू उस पर विजय
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

काम ऐसा कर की न रहे
नामोनिशान यहाँ भ्रष्टाचार का
पढ़ा दे पाठ आज तू
दुनिया को सदाचार का
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

हर अन्याय का दे तू मुहतोड़ जवाब
हर एक दर्द का मांग ले हिसाब
हिम्मत से बढता रह इस राह पर
आसान होते जायेगा ये डगर
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो 



Wednesday 13 June 2012

कि देश आज बलिदान मांग रहा है (The country is asking for sacrifice)

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कि देश आज बलिदान मांग रहा है
रिश्वतखोरी हो रही आज हर जगह
दे रहा आज हर व्यक्ति एक दुसरे को दगा
भ्रष्टाचारियो को मिले जल्दी सजा
ऐसा अंजाम मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
चारो ओर हाहाकार मचा है
जुल्म के खिलाफ बोलना एक सजा है
न्याय मिले हर किसी को
ऐसा संविधान मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
महंगाई लोगो को तडपा रही है
कीमते आसमान छू जा रही है
मुनाफाखोरी पर लगे पूरी रोक
ऐसा कानून मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है

Sunday 10 June 2012

जुनून (Passion)

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दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

बादलो की गडगडाहट सुनाई नहीं देती
सूरज की तेज रौशनी दिखाई नहीं देती
कुछ इस कदर खो गया हु मै
की लगता पूरा जग पराया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

हर शाम सुहानी लगती है
हर रात दीवानी दिखती है
अब तो ऐसा लग रहा है मुझे
की बाते कर रही मुझसे मेरा साया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

चिडियों की चहचाहट भाती है
तो नदिया भी कल कल गाती है
जाने क्या हुआ मेरे साथ
जो इस तरह की दीवानगी लाया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है
 

समय आ पंहुचा है लड़ने का (The time has come to fight)

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समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

यु चुपचाप अगर हम सहते रहे
तो ये जुल्म ख़तम न होगा
यु आँखें मूंदे अगर हम बैठे रहे
तो इस सितम का अंत न होगा
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

महंगाई बहुत बढ़ा रहे है
हमें आपस में लड़ा रहे है
जाति धर्म का भेद बता रहे है
हमें नफरत सिखा रहे है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

देश को लूटना मकसद है इनका
बेच रहे है हर एक तिनका
झूठी बातो में बहलाते है
और संसद में पहुच जाते है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का


  

Friday 8 June 2012

जाने कहा ले जाएगी ये ज़िन्दगी

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जाने कहा ले जाएगी ये ज़िन्दगी
और कितना सताएगी ये ज़िन्दगी

सूरज की तरह अपने आप में जल रहा हु मै
बर्फ की तरह तिल तिल कर पिघल रहा हु मै 
टुकडो में जी रहा हु , गिर गिर सम्हाल रहा हु मै
जाने कहा ले जाएगी ये ज़िन्दगी
और कितना रुलाएगी ये ज़िन्दगी

हर लड़ाई मै हार जाता हु
कुछ न हासिल मै कर पाता हु
अब की बार विजय ,अपने दिल को समझाता हु
जाने कहा ले जाएगी ये ज़िन्दगी
और कितना तडपायेगी ये ज़िन्दगी

सोचता हु जो उससे उल्टा हो जाता है
जो पास होता है वो भी खो जाता है
क्यों हो रहा है ये मेरे साथ मै न समझ पाता हु
जाने कहा ले जाएगी ये ज़िन्दगी
और कितना सताएगी ये ज़िन्दगी 

एक दोराहे पर खड़ा हु मै (I have been at a crossroad)

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एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता अन्याय सहने पर मजबूर करता है
तो दूसरा अन्याय के विरुध्द लड़ने पर गुरुर करता है
एक रास्ता नियति पर भरोसा करता है
तो दूसरा अपनी किस्मत खुद लिखने पर
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता गुमनामी की तरफ ले जाता है
पर दुसरे में ज़िन्दगी का भरोसा नहीं
दुसरे रास्ते में मुश्किलें है बहुत
तो पहले में मंजिल का पता नहीं
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता मोह में बांधे रखता है
तो दूसरा विरक्ति की ओर ले जाता है
एक रास्ता सुकून की ज़िन्दगी गुजारने वाला है
तो दूसरा हर पल नया करने वाला है
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

Thursday 7 June 2012

पर मै ज़िन्दगी को जीता हु

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ज़िन्दगी तो चलती तेरी भी है
पर मै ज़िन्दगी को जीता हु

दर्द मिलते है राहो पे हज़ार
पर सारे दर्द को मै पीता हु
तू अन्याय को सहता है
मै अन्याय के विरुध्द लड़ता हु
ज़िन्दगी तो चलती तेरी भी है
पर मै ज़िन्दगी को जीता हु

तू मुश्किलों से समझौता कर लेता है
मै मुश्किलों से लड़ा करता हु
तू खाने के लिए जीता है
मै जीने के लिए खाता हु
ज़िन्दगी तो चलती तेरी भी है
पर मै ज़िन्दगी को जीता हु

तू थोडा सा दुःख झेल नहीं पाता
मै हजारो दर्द सीने में दबाये खुश रहता हु
तू ऐशो आराम के लिए पैसे कमाता है
मै अपनी कमाई से जरुरत पूरी कर आनंदित रहता हु
ज़िन्दगी तो चलती तेरी भी है
पर मै ज़िन्दगी को जीता हु


Wednesday 6 June 2012

व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है (The time has come to change the system)

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व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है

मुनाफाखोरी की बीमारी लगी सभी को
महंगाई से जनता त्रस्त हो गई तभी तो
न्याय मिलने में देरी हो रही है
राष्ट्रिय संपत्ति चोरी हो रही है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है

सडको का हाल बेहाल है
दूर दूर तक न कोई अस्पताल है
सरकार आँखे मूंदे बैठी है
चोरो का अड्डा तो पुलिस चौकी है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है

नौकरशाही सब पे भारी है
हर एक को रिश्वतखोरी की बीमारी है  
भ्रष्ट लोगो के खिलाफ जो आवाज़ उठाता है
बहुत जल्दी ही आवाज़ दबा दिया  जाता है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है

बारिश का मौसम (Rainy season)

13 comments:
बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है
प्यासी  धरती  की  प्यास  बुझाती  है
धुलो  का  उड़ना  बंद  कर  जाती  है
मिटटी  की  भीनी  सुगंध  फैलाती  है
बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है

भीषण  गर्मी  से  बचाती  है
शीतलता  हमें  दे  जाती  है
मुसलाधार  प्रहारों  से  पतझड़  को  भागाती  है
बहारो  का  मौसम  लाती  है

बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है

चारो  ओर  हरियाली  फैलाती  है
नदियों  का  पानी  बढाती  है
तालाबो  को  भर  जाती  है

बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है

बारिश  के  चलते  ही  खेती  हो  पाती  है
किसानो  के  होठो  पे  मुस्कान  ये  लाती  है
रिमझिम  फुहारों  से  सुखा  मिटाती  है

बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है

मोरो  को  नचाती  है
पहाड़ो  में   फूल  खिलाती  है
बीजो  से  नए  पौधे  उगाती  है

बारिश  जब  आती  है 
ढेरो  खुशिया  लाती  है

अनमोल वचन (Precious Speech )

1 comment:
कोई  रोके  कितना  भी
पर  तुम  कभी  रुकना  नहीं
कोई  झुकाए  कितना  भी
पर  तुम  कभी  झुकना  नहीं
कोई  भड़काए  कितना  भी
पर  तुम  कभी  भडकना  नहीं
कोई  बहकाए  कितना  भी
पर  तुम  कभी  बहकाना  नहीं
कोई  डराए  कितना  भी
पर  तुम  कभी  डरना  नहीं
कोई  करे  अन्याय  तो
तुम  कभी  सहना  नहीं
भ्रश्चार  से  लाभ  हो  कितना  भी
पर  तुम  कभी  करना  नहीं
खेल  बुजदिलो  सा
तुम  कभी  खेलना  नहीं
झूठ  भूलकर  भी
तुम  कभी  बोलना  नहीं
गलत  रास्ते  पर
तुम  कभी  चलना  नहीं
कडवे  बोल
तुम  कभी  कहना  नहीं
बीच  रास्ते  से
तुम  कभी  मुड़ना  नहीं