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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Saturday 14 July 2012

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है (Today life is testing again)

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

घिरा हू मुश्किलों से मै अब
सबसे ज्यादा जरुरत थी तब
साथ छोड़ गए है सब
अब तो आँसू भी न रुक रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

जाने कितनी लंबी होगी ये काली रात
समझ आ रहा है केवल एक बात
सहना है मुझे वो सब जो हो रहा मेरे साथ
रुकना नहीं है राह में ये दिल मुझसे कह रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

कई कांटे चुभे है पांव में
चैन नहीं है अब पेड़ों कि छाँव में
समतल सडको में भी फिसल जा रहे है हम
सुकून देती थी जो अब वो भी दर्द जिंदगी में भर रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है


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