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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday 9 November 2012

सवाल

5 comments:
किसने कतरें पर उन परिंदों के
उड़ते थे जो दूर आसमान ?
लहूलुहान दिखती है धरती
किसने दिया ये क़त्ल का फरमान ?

है कौन यहाँ इतना बेरहम
जिसको है खून की प्यास ?
क्यों मिट गया उसके अंदर
दूसरों के दर्द का अहसास ?

तड़पती जानों को देख
कौन यहाँ मज़ा ले रहा है ?
बेगुनाहों को सज़ा ए मौत
कौन यहाँ दे रहा है ?

क्रूरता सहन की सीमा से पार हुई
पर सब खड़े क्यों मौन ?
खून से सनी तलवार जिसकी
पूछते है सब, वो है कौन ?

Tuesday 6 November 2012

घोटाले

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मनमोहन तेरे राज में
और कितने मंत्री होंगे बदनाम ?
बड़े-बड़े घोटालों के अलावा
कुछ भी ना हुआ काम

अपाहिजों की बैशाखी कर चोरी
कानून मंत्री करते है मुंहजोरी
संचार मंत्री ने बेचे सरेआम
अरबों के स्पेक्ट्रम कौडियों के दाम

घाना को हुआ जब चाँवल निर्यात
विदेश मंत्री के रंग गए हाथ
कोयले की कालिख लगी खुद तुझपर
आखिर हम विश्वास करे तो किसपर

जयपाल और जयराम ने चुकाई इमानदारी की कीमत
विभाग बदलकर दे दी उद्योगपतियों को राहत
काँमनवेल्थ में हुआ था जो कबाड़ा
शीला और कलमाड़ी का था एक दूसरे को सहारा

Sunday 4 November 2012

घोर कलयुग

2 comments:
देखो घोर कलयुग है आया
बड़ी गजब है इसकी माया
दौलत को भगवान बनाया
बिन दौलत अपने भी पराया

दौलत से चलती सरकार
जनता की होती तिरस्कार
मंत्री करता जितना बड़ा भ्रष्टाचार
मिलता उसको उतना बड़ा पुरस्कार

चोर संग पुलिस खाए मलाई
रिपोर्ट दर्ज कराने वाले की होती पिटाई
जेल के अंदर वो है जाता
जो जनता में अलख जगाता

जनसेवकों को मिली रिश्वत की खुली छूट
हरकोई जनता को रहा लुट
बेईमानों का होता सम्मान
ईमानदार सहते अपमान