tag:blogger.com,1999:blog-82745281982626566132024-03-12T21:03:38.865-07:00Hindi Poem (हिंदी कविता )कविताये जो मेरे दिल से निकलती है !Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.comBlogger155125tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-89975190447504722022015-12-02T08:54:00.000-08:002015-12-02T08:54:50.177-08:00चल मिटा ले फासले <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कुछ गलतफहमियाँ है, तेरे मेरे दरमियाँ,<br />
चल मिटा लें फासले, कुछ गुफ़्तगू कर लें,<br />
<br />
रूठी रहोगी, आखिर कब तलक,<br />
मै इधर तड़पता हूँ, और तु उधर,<br />
मेरी मौजूदगी को यूँ, नजरअंदाज ना कर,<br />
चिर जाती है सीना, देख तेरी गैरो सी नजर,<br />
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले,<br />
<br />
तेरी खामोसियाँ, खंचर सी है चुभने लगी,<br />
दूरियाँ हर एक चुप्पी पर तेरे, बढ़ने लगी,<br />
एक आवाज देकर, रोक ले मुझे,<br />
ऐसा ना हो कि दूर हो जाऊँ, पहुँच से तेरे,<br />
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले,<br />
<br />
एक पल के गुस्से में, भूल गई वो वादा,<br />
हर हालात में, साथ निभाने का वो इरादा,<br />
कुछ कमियाँ मुझमे है,ये मै जानता हूँ,<br />
छोड़ो गुस्सा हुई मुझसे ही गलती,ये मै मानता हूँ,<br />
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले,<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-24819837609802806422015-08-01T21:17:00.000-07:002015-08-01T21:17:37.312-07:00ऑनलाइन ईमान <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज का यह नया दौर है<br />
सामान ऑनलाइन बेचने की होड़ है<br />
सोचता हूँ अगर ऑनलाइन बिकने लगे ईमान<br />
तो कैसे कैसे रहेंगे दाम<br />
बाबु तो रखेंगे पांच सौ से हज़ार<br />
अफसरों के होंगे लाख के पार<br />
करोड़ो में बिकेंगे नेताओ के ईमान<br />
तो दस लाख से ऊपर रहेंगे इंजीनियरों के दाम<br />
पुलिस महकमे का अपना ही एक अलग अंदाज दिखेगा<br />
बेगुनाहों को कुछ प्रतिशत की छूट, तो गुनाहगारों को दुगने दाम पर मिलेगा<br />
वकील कोर्ट के अनुसार तय करेंगे<br />
जितना बड़ा कोर्ट दाम उतना ऊँचा रखेंगे<br />
जज रिटायरमेंट के बाद पद की शर्त रखेगा<br />
किसान मजदुर ईमान ना बेचेगा </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-90145069025322975082015-07-25T21:51:00.001-07:002015-07-25T21:51:23.729-07:00अपना डर जीत ले <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
घनी अँधेरी रात हो, और तेरे ना कोई साथ हो<br />
मुमकिन है कि तु डर भी जाय, जब अपना साया तुझे डराए<br />
एक पल के लिए तु कुछ सोच ले, पीछे मुड के भी देख ले<br />
अपना डर जीत ले, अपना डर जीत ले<br />
<br />
जब बात कुछ नया करने की हो, नए क्षेत्र में मुकाम हासिल करने की हो<br />
समस्या का समाधान ढूंढने की हो, या कौशल नया सीखने की हो<br />
मुमकिन है कि तेरे पैर थम जाय, अनिश्चितता के बादल तुझे डराए<br />
शुरुआत से पहले अभ्यास कर ले , अज्ञानता अपनी थोड़ी दूर कर ले<br />
अपना डर जीत ले, आपना डर जीत ले<br />
<br />
पढ़ाई प्राथमिक शाला या उच्च विद्यालय में हो, या फिर महाविद्यालय में हो<br />
घड़ी परीक्षा की जब आ जाय, व्याकुल मन जब तुझे सताए<br />
परिणाम की चिंता भुला दे, ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर लगा दे<br />
पढ़कर बुद्धि के भीत ले, अपनी जीत की पक्की तस्वीर खींच ले<br />
अपना डर जीत ले, अपना डर जीत ले </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-68519911959312988162015-06-19T08:23:00.000-07:002015-06-24T07:02:39.649-07:00चलो लड़ना सीखे <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कब तक जियोगे, समझौते भरी ज़िंदगी<br />
तेरी आंखें बताती है, नहीं इसमें तेरी रजामंदी<br />
अरे खुद से पूछ तो सही, तुझे क्या चाहिए ?<br />
उम्मीद जमाने से ना कर, खुद बदल जाईये<br />
आँखों में कोई ख्वाब है अगर, तो पूरा करना सीखे<br />
अपने ख्वाब और हक के लिए, चलो लड़ना सीखे<br />
<br />
मुश्किलें तो आती है नदियों के राह में भी<br />
पर मुश्किलों की परवाह उसे रहती नहीं कभी<br />
बना लेती है अपना रास्ता वो हर कही<br />
मंजिल का ख्याल कर हमेशा आगे ही बढ़ी<br />
अरे तेज ना सही तो धीरे धीरे आगे बढ़ना सीखे<br />
मुश्किलों में नदियों सा, चलो लड़ना सीखे<br />
<br />
आंधियाँ उड़ा ले जाती है सूखे पत्ते और धुल<br />
डटकर मुकाबला तो चट्टानें ही करती है ये मत भूल<br />
अपने अंदर का डर निकाल हौसला चट्टान सा कर<br />
खुद की शक्ति पहचान ज़िंदगी जायेगी निखर<br />
आंधियों से लड़ना है तो खुद पर यकीन करना सीखे<br />
चट्टान सी बेजान चीजों से चलो लड़ना सीखे<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-56409725642263438062015-06-11T18:47:00.000-07:002015-06-11T18:47:30.205-07:00जीत का मूलमंत्र <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जीवन में कुछ अर्थपूर्ण करे<br />
सपनों को अपने पूर्ण करे<br />
जीवन के है अपने कुछ नियम<br />
पालन से सफल होगा जीवन<br />
<br />
एक लक्ष्य का करो निर्धारण<br />
जिसका हो बार बार मनःउच्चारण<br />
समय सीमा भी कर लो तय<br />
और मन में कर लो दृढ़निश्चय<br />
<br />
समर्पण और अनुशासन से<br />
लक्ष्य की ओर बढ़ते ही जाना<br />
दर्द और कठिनाई में<br />
तुम ना कभी पीठ दिखाना<br />
<br />
बड़ा है अगर लक्ष्य तो<br />
छोटे टुकड़ों में लो बाँट<br />
समय की पाबंदियाँ<br />
इन पर भी रखो साथ<br />
<br />
हर छोटे लक्ष्य की प्राप्ति पर<br />
खुद को भी सम्मानित कर लो<br />
थोड़े देर ही सही पर<br />
ज़िंदगी में उमंग भर लो<br />
<br />
धीरे धीरे जीतना तुम्हारी आदत होंगी<br />
सफलता में फिर ना कोई बाधक होंगी<br />
बेझिझक अब कर दो इसकी शुरुआत<br />
जीत के मूलमंत्र का उठा लो अब लाभ<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-40658566675938551372015-04-24T07:08:00.000-07:002015-07-10T07:21:21.111-07:00सियासी साजिशें<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इन सियासत के गलियारों ने,<br />
इंसानों को बाँट दिया<br />
इनकी सियासी साजिशों ने<br />
इंसानियत का गला काट दिया<br />
<br />
सियासी साजिशों की<br />
बहुत गहरी है जड़े<br />
धरती के कई कोनों में<br />
अभी भी बिखरी है धड़े<br />
<br />
मौत के खेल की<br />
कैसी है ये आजमाइश<br />
धरती को लाल देखने की<br />
जैसे किसी ने की हो फरमाइश<br />
<br />
महज एक सियासी जीत के लिए<br />
बलि चढ़ गई हजारों की<br />
नफरत की दीवार खड़ी हो गई<br />
दो इंसानों के बीच पहाड़ों सी<br />
<br />
डरता हूँ नफरत की आग<br />
कहीं इतनी ना फ़ैल जाय<br />
इंसानियत तो निगल ही रहा<br />
कही दुनिया ना निगल जाय </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-7201240493763989302015-01-12T22:33:00.002-08:002015-01-12T22:33:50.590-08:00भ्रष्टाचार का जाल <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आओ सुनाऊँ देश का हाल <div>
कैसा बिछा यहाँ भ्रष्टाचार का जाल </div>
<div>
एक बार मै बनवाने गया प्रमाण पत्र निवास </div>
<div>
बाबु बोला निकाल रूपये पचास </div>
<div>
मिनटों में निवास तुम्हारे हाथ होगा </div>
<div>
चक्कर काटने वाली ना कोई बात होगा </div>
<div>
मैंने कहा मेरे दिए टैक्स से मिलती है तुम्हे तनख्वाह </div>
<div>
क्यों परेशान कर रहे हो मांग कर रूपये बेवजह </div>
<div>
गुस्से में उसने बोला तुम मुझको सिखा रहे हो </div>
<div>
रिश्वत का बना नियम यहाँ, क्यों अपनी मति लगा रहे हो </div>
<div>
अगर नहीं मिला मुझको रूपये पचास </div>
<div>
कूड़ेदान में जायेगी तुम्हारी आवेदन निवास </div>
<div>
मैंने कहा तुम्हारी अधिकारी से करूँगा शिकायत </div>
<div>
फिर बैठेगी तुमपर पंचायत </div>
<div>
उसने कहा एक हिस्सा अधिकारी को भी जाता है </div>
<div>
वही तो हमको वसूली का टारगेट बताता है </div>
<div>
मैंने कहा आपने अभी जो बात कही है </div>
<div>
उसकी एक विडियो बन गई है </div>
<div>
हाथ जोड़कर खड़ा हो गया सामने </div>
<div>
गिडगिडाते लगा माफ़ी मांगने </div>
<div>
पांच मिनट में सील और साइन करा लाया </div>
<div>
निवास को थरथराते मेरे हाथ थमाया </div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-53702258639371783032015-01-06T07:06:00.000-08:002015-01-06T07:06:08.657-08:00आओ पहल करे <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
किसी रूठे को मनाने का, किसी का बिगड़ी बनाने का<br />
कोई रोते को हँसाने का, किसी भूखे को खिलाने का<br />
थोड़ा ही सही, पर कुछ तो चहल करे <br />
आओ पहल करे, आओ पहल करे<br />
<br />
किसी का दर्द मिटाने का, अनपढों को पढ़ाने का<br />
किसी को न्याय दिलाने का, बेवजह मुस्कुराने का<br />
छोटा सा ही सही, पर प्रयास सफल करे<br />
आओ पहल करे आओ पहल करे<br />
<br />
धर्म और जात पात का, भाषा और क्षेत्रवाद का<br />
अमीर और गरीब का, अपने अच्छे नसीब का <br />
अहं को छोड़कर,झगडो को खतम करे<br />
आओ पहल करे, आओ पहल करे <br />
<br />
छत नहीं है जिसके पास, सोता जो खुले आकाश<br />
कपकपाती ठण्ड में, कम्बल की जिसको है आस<br />
रैन बसेरो का प्रबंध कर, कुछ की समस्या तो हल करे<br />
आओ पहल करे, आओ पहल करे<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-46296384150336712192014-12-28T00:32:00.001-08:002014-12-28T00:35:21.291-08:00ख़ामोशी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
किसी ने मुझसे कहा क्यों खामोश है इतना भुप्पी<br />
अब तोड़ भी दे अपनी चुप्पी<br />
मैंने कहा लोकतंत्र की हत्या देख रहा हूँ<br />
उसके पुनर्जन्म की बाट जोह रहा हूँ<br />
क्या गीता में श्रीकृष्ण की बात झूठी हो गई<br />
अधर्म ही यहाँ रीति हो गई<br />
खामोश हूँ मुझे खामोश ही रहने दो<br />
बहुत की बोलने की कोशिश अब मुझे चुप रहने दो<br />
<br />
उसने कहा याद कर इतने दिनों तक तु लड़ा<br />
अब क्यों है चुपचाप खड़ा<br />
इतने दिनों की तेरी मेहनत जायेगी व्यर्थ<br />
ऐसा ना कर तु अनर्थ<br />
मैंने कहा बात तुम्हारी सच्ची है<br />
सोचने पर जचती है<br />
तन के दुःख को बड़ा मान लिया<br />
अब अपनी असलियत पहचान लिया<br />
दौड़ दौड़ के गया था थक<br />
छोटी मुश्किलों में ही गया था अटक<br />
अब फिर से मुझको लड़ना है<br />
अपनी किस्मत खुद गढ़ना है </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-87498766415632518432014-09-20T20:43:00.000-07:002014-09-20T20:43:39.766-07:00प्रयास <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जीत हार तो है, एक मामूली सी बात<br />
मूल्यवान तो है, तेरा ये प्रयास रे<br />
मुश्किलों का क्या, ये तो मिलती है हर कही<br />
जीत जायेगा तु, मुश्किलों को सभी<br />
खुद पर तो कर विश्वास रे<br />
कर प्रयास रे, कर प्रयास रे<br />
<br />
कर मुकाबला हर हालात का<br />
आंधी तूफ़ान हो या जज्बात का<br />
ना रोक कदम, डरकर के कभी<br />
हँसकर पी जा, घुट गम के सभी<br />
टूट ना पाए तेरी ये आस रे<br />
कर प्रयास रे, कर प्रयास रे<br />
<br />
ना समझ खुद को कमजोर तु<br />
हिम्मत लगा पुरजोर तु<br />
अपनी शक्तियों की कर पहचान<br />
मिट जायेगा तेरा अज्ञान<br />
बन जायेगा तु भी खास रे<br />
कर प्रयास रे, कर प्रयास रे<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-74693361871312040532013-11-10T02:12:00.000-08:002013-11-08T06:27:50.739-08:00दिल्ली मै आ रहा हूँ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दिल्ली तेरी गलियों में फिर शोर होगा<br />
वंदे मातरम की गूंज चहुंओर होगा<br />
कुछ ख्वाब जो अधूरे रह गए थे, पूरा करने जा रहा हूँ<br />
दिल्ली मै आ रहा हूँ, दिल्ली मै आ रहा हूँ<br />
<br />
पिछली बार जब हम मिले थे<br />
जागती आँखों से सपना दिखाया था मुझे<br />
उन सपनों को हकीकत में बदलने जा रहा हूँ<br />
दिल्ली मै आ रहा हूँ, दिल्ली मै आ रहा हूँ<br />
<br />
तेरी सड़को, तेरी गलियों ने पुकारा है फिर मुझे<br />
यूँ तो भीड़ होती है उस महफ़िल में बहुत<br />
उस भीड़ में एक और इजाफा करने जा रहा हूँ<br />
दिल्ली मै आ रहा हूँ, दिल्ली मै आ रहा हूँ<br />
<br />
कुछ अरमान तुझसे मिले बिना पूरी ना होंगी<br />
पर सर्द रहती है अक्सर हवायें तेरी<br />
उन सर्द हवाओं को सहने जा रहा हूँ<br />
दिल्ली मै आ रहा हूँ, दिल्ली मै आ रहा हूँ<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-23583424417820834502013-11-09T21:41:00.000-08:002015-04-08T23:27:36.970-07:00मुर्दों का शहर <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ये मुर्दों का शहर है या बेफिक्रों का,<br />
लोग मिलते है लाशों की तरह,<br />
जबां पे लगा लिए है ताले ,<br />
और पूछते है इतना सन्नाटा क्यों है ?<br />
<br />
मेहनत करती है लाशें दिलोजान से,<br />
मेहनताना छीन ले जाता है क़ातिल,<br />
मुफ़लिसी में दिन कटते है लाशों के,<br />
क़ातिल का दिन अय्याशी में गुजरता क्यों है ?<br />
<br />
इनको लगता है कि क़ातिल रहते है आसमां में,<br />
उनको जमीं पे लाना है नामुमकिन,<br />
एक पत्थर भी उछाले नहीं है,<br />
और कहते है आसमां इतना ऊँचा क्यों है ?<br />
<br />
मै बाशिंदा हूँ उस शहर का,<br />
जहाँ जिंदा कौमें दहाड़ती है,<br />
इंसान के साये को भी पुकारती है,<br />
ये शहर कहता है मुझसे तु इतना बोलता क्यों है ?<br />
<br /></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-1739328027774826922013-10-29T23:54:00.001-07:002014-04-25T08:41:25.178-07:00एक अपील <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग<br />
लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश<br />
शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर<br />
पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नहीं रहा उतर<br />
<br />
क्या ये मुल्क तेरा नहीं,या तु यहाँ रहता नहीं<br />
दिखा दे आज दुनिया को, जिंदा है तु मुर्दा नहीं<br />
घर के अंदर चीखने से, कुछ भी ना बदल पायेगा<br />
आवाज़ वही खत्म हो जायेगी ,कोई सुन भी ना पायेगा<br />
<br />
क्यों रोकता है अपने कदम, है तुझे किसका डर<br />
इस लुट का तो हो रहा, तेरे घर पर भी असर<br />
बुजदिली तुझमे भरी,या मुल्क से प्यार नहीं<br />
इंतज़ार है खुदा का,या गद्दारी में हो शामिल कहीं<br />
<br />
हौसलेवालों पर ही बरसती है खुदा की रहमत<br />
एक कदम बढ़ाया ही नहीं, और कोसता है अपनी किस्मत<br />
अगर प्यार है मुल्क से, तो अदा करो इसका नमक<br />
कन्याकुमारी से दिल्ली तक, भर दो पूरा सड़क<br />
<br />
</div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-82637136366026118122013-10-29T20:40:00.001-07:002013-10-29T20:40:14.212-07:00चलो सवाल करते है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
वर्षों से हो रही लुट पर,<br />
रिश्वत की मिली खुली छूट पर,<br />
दमनकारी निरंकुश शासन पर,<br />
बेईमान निकम्मे प्रशासन पर,<br />
चलो सवाल करते है, चलो सवाल करते है !<br />
<br />
बढ़ रही बेरोजगारी पर,<br />
घट रही वफ़ादारी पर,<br />
मजदूरो के शोषण पर,<br />
गरीब बच्चों के कुपोषण पर,<br />
चलो सवाल करते है, चलो सवाल करते है!<br />
<br />
गिरती शिक्षा स्तर पर,<br />
बढ़ती महंगाई दर पर,<br />
अस्पतालों की बदहाली पर,<br />
किसानो की तंगहाली पर,<br />
चलो सवाल करते है, चलो सवाल करते है!<br />
<br />
बढते साम्प्रदायिक दंगो पर,<br />
राजनीति में गलत हथकंडो पर,<br />
तेजी से बढ़ते अपराध पर ,<br />
नेताओं और गुंडों के सांठगांठ पर,<br />
चलो सवाल करते है, चलो सवाल करते है !<br />
<br />
सरकार की आम आदमी से बेरुखाई पर,<br />
भ्रष्ट अफसरों की रुसवाई पर,<br />
जब तक हर सवाल का जवाब न मिले,<br />
एक एक पैसे का हिसाब न मिले,<br />
चलो सवाल करते है, चलो सवाल करते है !</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-1450745554760133932013-09-20T10:01:00.001-07:002014-06-17T23:57:15.010-07:00लाशों की तरह जीने से तो, लड़कर मरना अच्छा है,<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सिल लिए हो होठ अपने,<br />
कोने में छुप छुप रोते हो<br />
कायरो सी ज़िंदगी है,<br />
हर जुल्म चुप चुप सहते हो !<br />
<br />
सुभाष, भगत और गाँधी की,<br />
पावन धरा में तुमने जन्म लिया,<br />
फिर अन्याय को तुमने क्यों,<br />
अपनी नियति समझ लिया ?<br />
<br />
लाशों की तरह जीने से तो,<br />
लड़कर मरना अच्छा है,<br />
<div>
हालातों से जो लड़ता है,<br />
वही तो वीर सच्चा है !</div>
<div>
<br /></div>
<div>
तटस्थता में ही जीना है तो,<br />
क्यों पहना इंसान का चोला है ? </div>
<div>
घर बैठ कुछ नहीं बदलने वाला,<br />
सड़को पर निकलना अच्छा है !<br />
<br />
छाया घना अँधेरा तो क्या<br />
एक जुगुनू भी रौशनी कर जाता है ,<br />
सूरज ना बन पाए तो क्या<br />
दीपक की तरह जलना अच्छा है !<br />
<br />
दे जवाब डरपोक मौन को<br />
साहस भरी एक आवाज से ,<br />
इस डरी सहमी ख़ामोशी से<br />
बलिदानी ललकार अच्छा है !</div>
<div>
<br /></div>
<div>
अवसर की राह जो तकता है,<br />
लगता नहीं कुछ उसके हाथ ,</div>
<div>
राहों में जो नहीं रुकता है ,<br />
उसका जीत तो पक्का है !<br />
<br />
<br /></div>
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-85488209701566377732013-08-24T21:27:00.000-07:002013-08-24T21:27:42.667-07:00भारत निर्माण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आम आदमी है यहाँ परेशान<br />
महंगाई कर रही हलाकान<br />
भ्रष्टाचार पर नहीं है लगाम<br />
बेरोजगारी ले रही है जान<br />
आंख दिखा रहा चीन पाकिस्तान<br />
मौज उड़ा रहे हुक्मरान<br />
और हो रहा भारत निर्माण </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-25495826388083925952013-07-04T08:32:00.005-07:002013-10-13T09:25:03.574-07:00हमारी बहन वर्तमान की झाँसी की रानी, संतोष कोली को समर्पित <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कोई रोक ले मेरे आंसुओ को सैलाब बनने से<br />
डरता हूँ अपने हाथ को खून से रंगने से<br />
क़यामत हो जायेगी अगर सीने में छुपी बारूद में आग लग गयी<br />
फिर ना कहना हमें तुम्हारे कमीज में खून की दाग लग गयी<br />
<br />
तेरे लहू की हर एक बूंद का हिसाब माँगा जायेगा<br />
तेरे पूछे गये हर सवाल का जवाब माँगा जायेगा<br />
हमने तो सीखा है जीना तुझे देख देखकर<br />
जो तुम ना रही तो फिर सैलाब माँगा जायेगा<br />
<br />
जब तुम निकलती थी हाथो में तिरंगा लिए<br />
वंदे मातरम से गूंजती थी सड़के सारी<br />
हजारों को जगाया है तुमने अपनी आवाज़ से<br />
हर दिल में हमेशा बसी रहेगी तेरी बहादुरी<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-29569992126801505122013-05-21T11:09:00.003-07:002013-05-21T11:18:31.779-07:00तो जीने का मज़ा क्या है ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">आँखों में कोई सपना ना हो, तो जीने का मज़ा क्या है ?</span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">सपने के लिए बरबाद हुए, तो इसमें खता क्या है ?</span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span>
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">लोग कहते है पागल मुझे, मेरे हालात पर हँसते हुए </span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">इस पागल ने कुछ कर दिखाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?</span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span>
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">यूँ तो दर्द में आँसू निकल आते है सबके </span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">पर दर्द में मुस्कुराया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?</span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span>
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">यहाँ तो सब ही जीते है अपने ही लिए </span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">दूसरों का दर्द भुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?</span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span>
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">थम जाती है साँसे हर रोज हजारों के, कुछ लोग होते है जनाजे के लिए </span></span><br />
<span style="font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="line-height: 14px;">अपनी मैय्यत पर लाखो को रुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?</span></span><br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-15281496990623510692013-05-14T11:27:00.000-07:002013-05-14T11:27:56.364-07:00हम आम इंसान है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ना चमक है, ना दमक है,<br />
ना जेब में सिक्कों की खनक है ,<br />
बस पास एक कीमती ईमान है,<br />
हम आम इंसान है ! हम आम इंसान है !<br />
<br />
सूरज देख निकलते है, शाम देख मुरझाते<br />
राह में सीधे चलते है , दर दर ठोकर खाते<br />
दुनिया की चतुराई से, हम तो अनजान है<br />
हम आम इंसान है ! हम आम इंसान है !<br />
<br />
सिल लिए है होठ, जितनी भी लगे चोट<br />
सोचा अपनी किस्मत में ही है खोट<br />
जतन कर लिए तमाम है<br />
हम आम इंसान है ! हम आम इंसान है !<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-3794550790000857322013-03-20T07:17:00.001-07:002013-03-20T07:17:57.690-07:00हमें स्वराज चाहिए <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ना दान चाहिए, ना भीख चाहिए<br />
हमें स्वराज चाहिए, हमें स्वराज चाहिए<br />
<br />
लोकतंत्र बना आज लूटतंत्र<br />
फूंका हो जैसे किसी ने मन्त्र<br />
रिश्वत का हो गया एक यंत्र<br />
भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहिए<br />
<br />
ना दान चाहिए, ना भीख चाहिए<br />
हमें स्वराज चाहिए, हमें स्वराज चाहिए<br />
<br />
न्याय के लिए भटकती प्रजा<br />
बेगुनाहों को मिल रही सजा<br />
कोई तो बताये हमारी खता<br />
हमें न्याय का अधिकार चाहिए<br />
<br />
ना दान चाहिए, ना भीख चाहिए<br />
हमें स्वराज चाहिए, हमें स्वराज चाहिए<br />
<br />
जर्जर सड़क देख दुखता है मन<br />
सालों से अधूरा पाठशाला भवन<br />
पानी बिजली नहीं पहुंची जन जन<br />
हर गांव में हमें विकास चाहिए<br />
<br />
ना दान चाहिए, ना भीख चाहिए<br />
हमें स्वराज चाहिए, हमें स्वराज चाहिए<br />
<br />
<br />
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-48414972524683866912013-03-11T11:55:00.000-07:002014-03-23T19:57:14.551-07:00दिल्ली सामूहिक बलात्कार पीड़ित लड़की "दामिनी" को समर्पित <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कोई चीखती लबों से , कह गयी बहुत कुछ<br />
कुछ नींद से जागे है, कुछ अनसुना कर गये !<br />
<br />
रोती होंगी रुंह भी, जमीं का मंजर देखकर<br />
जो उठे थे हाथ, उनपर भी खंजर चल गये !<br />
<br />
आसमां पर बैठ, सोचती होंगी वो दामिनी<br />
इन ज़मींवालो के रगों में, पानी कैसे भर गये ?<br />
<br />
आज दिल्ली में लुटेरे, बेख़ौफ़ लुटते है आबरू<br />
पर पहरेदारों की चौकसी, कागजो में क्यों सिमट गये ?<br />
<br />
सुन बहन की बिलखती आवाज़, भाई चुप बैठा है क्यों ?<br />
रक्षाबंधन पर किया वादा, वो कैसे भूल गये ?<br />
<br />
अब ना जागे सब तो , रुसवा होंगी इंसानियत<br />
दिल की दबी बात, आज कलम कह गये !<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-3061837112679517652012-12-13T21:26:00.000-08:002012-12-13T21:26:01.812-08:00मै आम आदमी हूँ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक आग लगी सीने में,<br />
सबके सीने में लगाना चाहता हूँ<br />
जागा हूँ मै जो अब तो ,<br />
कुछ कर गुजरने को चाहता हूँ,<br />
मै आम आदमी हूँ, मै आम आदमी हूँ<br />
<br />
सौपा जिनको भी राज यहाँ,<br />
उसने ही जमकर लुट मचाया<br />
अब हमारा जीना हो गया है मुश्किल ,<br />
भ्रष्टाचार महंगाई को इतना बढ़ाया<br />
कागज के टुकडों में बिकने वालों को,<br />
जेल के अंदर पहुँचाना चाहता हूँ<br />
मै आम आदमी हूँ, मै आम आदमी हूँ<br />
<br />
नहीं होने दी कभी अन्न की कमी मैंने,<br />
सीमाओं पर दुश्मनों से लड़ा<br />
नहीं होता काम बिन हमारे दफ्तरों में,<br />
कारखाने हमारे दमपर है खड़ा<br />
हम पहुंचाते खबर और सन्देश<br />
शिक्षक बन ज्ञान बांटता हूँ<br />
मै आम आदमी हूँ, मै आम आदमी हूँ<br />
<br />
सरफरोशी जागी है अब तो ,<br />
ये हालात बदलना चाहता हूँ<br />
बहुत सह लिए अन्याय अब,<br />
बेईमानों का राज बदलना चाहता हूँ<br />
मै आम आदमी हूँ, मै आम आदमी हूँ<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-46942684886214971202012-11-23T02:00:00.002-08:002014-03-23T19:57:54.556-07:00शिकायत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
उनकी बेखबरी का आलम तो देखो<br />
लगी है भीषण आग उनके शहर में<br />
और वो अपने महलों में बैठ<br />
मधुर तरानों का लुत्फ़ उठा रहे है<br />
<br />
रहनुमा बनके फिरते थे हमारी गलियों में<br />
कहते हुए कि हर मुश्किल में साथ निभाऊंगा<br />
आज जब हमारी ज़िंदगी जहन्नुम हो गई<br />
वो कुर्सी पर बैठ मंद मंद मुस्कुरा रहे है<br />
<br />
लंबी फेहरिस्त थी उनकी वायदों की<br />
हमारी तंगहाल ज़िंदगी बदलने की बात करते थे<br />
मौका दिया उनको वायदा निभाने की तो<br />
हमको भूल झोलियाँ अपनी भरे जा रहे है<br />
<br />
ईद हो या दिवाली संग होते थे हमारे<br />
चेहरे पर मुस्कुराहट और होठों में दुआ रखते थे<br />
अब दर पर जाते है उनके हाल ए ज़िंदगी कहने तो<br />
मिलना तो दूर, हमसे आँखें चुरा रहे है </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-66614400208801774412012-11-21T02:00:00.000-08:002014-03-23T19:58:33.882-07:00इसी का नाम ही ज़िंदगी है शायद <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बीच मझधार बह रहा हूँ, बिना पतवार के नाव में<br />
ना हमसफ़र है, ना मंजिल का पता<br />
गुमसुम सा, उदास सा, बैठा हूँ इंतज़ार में<br />
कि आए कोई फरिस्ता और मंजिल का पता दे जाये<br />
<br />
कभी कभी लगता है, मुझमें जां नहीं है बाकी<br />
पर सर्द हवाएं मेरे जिंदा होने का अहसास करा जाती है<br />
तन्हाई में एक पल भी गुजरता है सदियों की तरह<br />
लहरें तो डराती ही है, अँधेरे का खौफ भी कम नहीं<br />
<br />
एक अंजाना डर आँखों से नींद चुरा ले जाती है<br />
जागता हूँ रातों में, जुगुनुओं और तारों के संग<br />
सुबह का उजाला नाउम्मीदगी को करती है थोड़ी कम<br />
पर शाम होते ही उम्मीद का दामन छूट जाता है<br />
<br />
इस जलती बुझती उम्मीद की किरण के बीच<br />
अनजाने मंजिल को तलाशना और रास्ता बनाना<br />
डरावने माहौल में थोड़ा सा मुस्कुराना<br />
इसी का नाम ही ज़िंदगी है शायद<br />
इसी का नाम ही ज़िंदगी है शायद </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8274528198262656613.post-86516106559181681482012-11-19T02:00:00.000-08:002014-03-23T19:59:11.021-07:00लकीरें <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
उस खुदा ने तो नहीं खींची थी लकीरें इस जमीं पर<br />
क्यों खींच ली लकीरें तुने ऐ इंसान ?<br />
ये जानते हुए भी कि मिट्टी में मिलना है सबको<br />
क्यों बना लिए अलग अलग शमशान ?<br />
<br />
देश, मजहब और जाति पर तो बाँट ही लिया<br />
पर क्या फिर भी पूरा ना हुआ तेरा अरमान ?<br />
रंग, लिंग, भाषा और बोली के भेद का<br />
बना रहे हो नए नए कीर्तिमान<br />
<br />
मतलब के लिए तो टुकडों पर बाँट दिया<br />
क्या सोचा था इसका अंजाम<br />
धूमिल होगी मानवता सारी<br />
और ना रहेगा मोहब्बत का नामोनिशान<br />
<br />
तुम कर लो लाख कोशिश मगर<br />
दिलो के मोहब्बत खत्म ना कर पाओगे ऐ नादान<br />
मानवता और नैतिकता तो बनी ही रहेगी<br />
जब तक खत्म ना हो जाए ये जहान</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04867210455159052407noreply@blogger.com0