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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday 15 June 2012

ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है (Life tends to be incomplete)

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ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

समझ नहीं आ रहा किसकी तलाश है
क्यों लगता हर समय प्यास है
अँधेरे में रौशनी की तलाश है
तो उजाले में छाया की आस है
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

हमेशा कुछ नया करने की सोचता हु
पर पुरानी गलियों में ही भटकता हु
ज़िन्दगी खाली खाली सी लगती है
ऐसा क्या है जिसको पाने के लिए भटकती है
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

मंजिल मेरे लिए नहीं है
सोचकर रास्ता बदल जाता हु
किस मंजिल को पाने की कोशिश करू
मै समझ नहीं पाता हु
ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी लगती है
पल पल में न जाने क्यों बहकती है

उठो जागो और संघर्ष करो (Wake up and fight)

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उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

कंटीली है राहें बहुत
पर तुझे रुकना नहीं है
दुश्मन करेगा झुकाने की कोशिश बहुत
पर तुझे झुकना नहीं है
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

भारत पहुंचे शीर्ष पर
रखो मन में केवल यही ध्येय
जो भी कठिनाई आये राहो में
कर ले तू उस पर विजय
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

काम ऐसा कर की न रहे
नामोनिशान यहाँ भ्रष्टाचार का
पढ़ा दे पाठ आज तू
दुनिया को सदाचार का
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो

हर अन्याय का दे तू मुहतोड़ जवाब
हर एक दर्द का मांग ले हिसाब
हिम्मत से बढता रह इस राह पर
आसान होते जायेगा ये डगर
उठो जागो और संघर्ष करो
मुश्किलों के दर्द पर तुम हर्ष करो 



Wednesday 13 June 2012

कि देश आज बलिदान मांग रहा है (The country is asking for sacrifice)

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कि देश आज बलिदान मांग रहा है
रिश्वतखोरी हो रही आज हर जगह
दे रहा आज हर व्यक्ति एक दुसरे को दगा
भ्रष्टाचारियो को मिले जल्दी सजा
ऐसा अंजाम मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
चारो ओर हाहाकार मचा है
जुल्म के खिलाफ बोलना एक सजा है
न्याय मिले हर किसी को
ऐसा संविधान मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
महंगाई लोगो को तडपा रही है
कीमते आसमान छू जा रही है
मुनाफाखोरी पर लगे पूरी रोक
ऐसा कानून मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है

Sunday 10 June 2012

जुनून (Passion)

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दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

बादलो की गडगडाहट सुनाई नहीं देती
सूरज की तेज रौशनी दिखाई नहीं देती
कुछ इस कदर खो गया हु मै
की लगता पूरा जग पराया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

हर शाम सुहानी लगती है
हर रात दीवानी दिखती है
अब तो ऐसा लग रहा है मुझे
की बाते कर रही मुझसे मेरा साया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है

चिडियों की चहचाहट भाती है
तो नदिया भी कल कल गाती है
जाने क्या हुआ मेरे साथ
जो इस तरह की दीवानगी लाया है
दिल में एक तूफान सा आया है
कुछ नया करने का जुनून सा छाया है
 

समय आ पंहुचा है लड़ने का (The time has come to fight)

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समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

यु चुपचाप अगर हम सहते रहे
तो ये जुल्म ख़तम न होगा
यु आँखें मूंदे अगर हम बैठे रहे
तो इस सितम का अंत न होगा
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

महंगाई बहुत बढ़ा रहे है
हमें आपस में लड़ा रहे है
जाति धर्म का भेद बता रहे है
हमें नफरत सिखा रहे है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

देश को लूटना मकसद है इनका
बेच रहे है हर एक तिनका
झूठी बातो में बहलाते है
और संसद में पहुच जाते है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का