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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday 25 June 2012

कोशिश कर रहा हु (I am trying)

इंसान की खामोशियाँ भी कहती है बहुत कुछ
मै इन खामोशियो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की आँखें बात करती है तो कोई इशारो से बात करता है
मै इनके भावो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की हलकी सी आवाज़ में भी कशिश होती है बहुत
मै अपने लब्जो में कशिश भरने की कोशिश कर रहा हु

कभी किसी का मासूम सा चेहरा आकर्षित करता है बहुत
मै हर चेहरे से आकर्षित होने की कोशिश कर रहा हु

कोई अँधेरे से डरता है तो कोई अँधेरे में जीता है
मै अँधेरा हटा उजाला करने की कोशिश कर रहा हु

समुन्दर में आया तूफान है मै बीच मजधार में फ़सा हु
मै अपनी नाव किनारे लाने की कोशिश कर रहा हु 


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