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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday 4 June 2012

मंजिल तो मिल ही जाती है (The goal is to get )

2 comments:
तुझे अब नहीं रोना है
समय एक पल भी नहीं खोना है

जो हुआ उसे भूल जा
लक्ष्य पर नज़रे टिका
कदम कदम बस बढते जा
लक्ष्य का नशा चढ़ा

पीछे मुड़कर न देख कभी
बाधाओं को पार कर जा सभी
हो दर्द तो मत कराह कभी
झेल जा दर्द सभी

हर मोह का तू त्याग कर
हमेशा के लिए बन जा निडर
सोचता है जो करके बता
दुनिया को जीत के दिखा

राह आसान होते जायेगा
जब तू हिम्मत से बढ़ता जायेगा
जो भी मुश्किल आएगा
तू जीतता चला जायेगा

बीते लम्हों का न कर अफ़सोस तू
भर अपने में जोश तू
कभी हार के रुकना नहीं
मुश्किलों में झुकना नहीं

मंजिल तो मिल ही जाती है
बस ज़रा सा तडपाती है

वीर तुम कहलाओगे (You will be called warrior )

No comments:
कांच के जैसे सीने से
तुम मंजिल कैसे पाओगे

पत्थर सा सीना कर
तुम हर हाल में जीत जाओगे

कायरो सा जीना नहीं
अन्याय को मत सहनकर
लड़ते हुए गई जान अगर
तो शहीद तुम कहलाओगे

रखेंगे लोग याद तुझे
अमर तुम बन जाओगे

उठा हथियार अपनी
दुश्मनों का सर कलमकर
जीत गए तुम अगर
तो वीर तुम कहलाओगे

होगी चारो ओर तुम्हारी बाते
तुम प्रसिध्दि पाओगे

Sunday 3 June 2012

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

1 comment:
ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बतलाता हु
इसका सही मायने समझाता हु
पेड़ काटे जायेंगे अगर बेतहाशा
तो तापमान बढता रहेगा हमेशा
फैक्ट्री लगाये जा रहे रोज हज़ार
वायु प्रदुषण बढ रहा लगातार
कार्बन डाई आक्साइड अगर बढेगा
तो तापमान भी चढ़ेगा
तापमान के बढ़ने से
ग्लेशियर का बर्फ पिघल रहा
समुद्र किनारे के लोगो का
जीना मुश्किल कर रहा
जलवायु रहा बदल
भयंकर आंधिया रही चल 
एक तरफ जनसँख्या बढ रही
दूसरी तरफ रहने के लिए जमीने कम पड़ रही
ग्लोबल वार्मिंग को अगर काबू में लाना है
तो जन जन में इसके लिए जागरूकता फैलाना है
पेड़ो को कटने से बचाना है
चारो ओर हरियाली बढाना है

आपस की लड़ाई (Battle of interconnect)

No comments:
तुम ये क्या कर रहे हो
दुश्मनों के बजाय आपस में लड़ रहे हो
उन्होंने फायदे के लिए बाटा हमें
छोटी सी बात समझ नहीं आ रही तुम्हे
लड़ाई जो तुम आपस में करोगे
तो इसका नुकसान भी तुम ही भरोगे
कोई और इसका फायदा उठाएगा
तुम्हारे हिस्से में कुछ न आयेगा
तुम जो इस तरह जियोगे
तो आगे कैसे बढोगे
भाई को भाई से ये आपस में लड़ाते है
दुसरो की मुर्गी में दाल अपनी गलाते है
अब भी वक़्त है सम्हल जाने का
न लड़कर इस पचड़े से बाहर आने का
मिलकर रहोगे तो होगी प्रगति
आपस में लड़ोगे तो होगी दुर्गति 

प्रदुषण (pollution)

7 comments:
बड़ी बड़ी चिमनियों से निकलता ये धुआं
है इंसानों की ज़िंदगी के लिए एक जुआ
धुल उडाती बड़ी गाड़ियां
फेफड़े के लिए है बीमारियाँ
प्रदुषण जो तेजी से बढ़ रहा है
नई नई बीमारियाँ पैदा कर रहा है
वाहनों की संख्या तेज रफ़्तार से बढ़ रही है
लोगो की मौत की नई परिभाषा गढ़ रही है
पेड़ रहे है तेजी से कट
जीवन प्रत्याशा रही है घट
प्रदुषण बढ़ रहा लगातार
फैक्ट्रिया जो खुल रही कई हज़ार
परमाणु उर्जा पे हो रहे हम निर्भर
विकिरण के साथ जीना हो रहा दुर्भर
नित नए हो रहे अविष्कार
ध्वनि प्रदुषण बढ़ा रहे लगातार
फैक्ट्रियो से छोड़े जा रहे अवशिष्ट
मिटटी खो रही अपनी गुण विशिष्ट
कचड़ा जो नदियों में डाला जा रहा
जल प्रदुषण फैला रहा
रोकना है अगर प्रदुषण बढ़ने की गति 
तो उपयोग में लाना होगा अपना मति 
सीमित रखो अपना उपयोग 
मत करो संसाधनों का दुरूपयोग  

Saturday 2 June 2012

जन लोकपाल बिल(Jan Lokpal Bill)

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भ्रष्टाचार की फैली महामारी है
हर एक को रिश्वत लेने या देने की बीमारी है
कब होगा भारत भ्रष्टाचार मुक्त
समय आ गया है जब सब हो जाये एकजुट
अब तो ऐसे भारत का निर्माण होगा
जिसमे भ्रष्टाचार का न नामोनिशान होगा
पहले व्यवस्था परिवर्तन लाना है
जनलोकपाल बिल पास कराना है
लोकपाल को सबके ऊपर बिठाना है
हर भ्रष्टाचारी को जेल के अंदर पहुचाना है
भ्रष्टाचारियो को मिलने लगेगी कड़ी सजा
फिर न देगा कोई किसी को दगा
इसलिए आओ हम सब मिलकर लगाये ये नारा
जन लोकपाल बिल पास हो हमारा

कालाधन (Black Money)

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कालाधन  अगर  वापस  आएगा
तो  देश  फिर  से  सोने  की  चिड़िया  कहलायेगा 
प्रगति  की  राह  में  बढ़ता  चला  जायेगा 
महंगाई  भी  स्थिर  हो  जायेगा 
सबको  रोजगार  भी  मिल  जायेगा 
कालाधन  अगर  वापस  आएगा
तो  देश  फिर  से  सोने  की  चिड़िया  कहलायेगा
कही  से  भी  न  ऋण  लेना  होगा
किसी  को  न  टैक्स  देना  होगा
आधारभूत  संरचना  होगी  मजबूत
मिलेगा  जो  हमें  धन  अकूत
कालाधन  अगर  वापस  आएगा
तो  देश  फिर  से  सोने  की  चिड़िया  कहलायेगा
निर्यात  फिर  बढ़ने  लगेगा
आयात भी घटने  लगेगा
फिर  न  रहेगा  कोई  गरीब
हर  हाथ  को  काम  होगा  नसीब
कालाधन  अगर  वापस  आएगा
तो  देश  फिर  से  सोने  की  चिड़िया  कहलायेगा
सड़के  हमारी  भी  चमकेंगी
आईने  की  तरह  झलकेंगी
भुखमरी से  न  होगी  मौत
संसाधनों  का  होगा  भरपूर  उपयोग
कालाधन  अगर  वापस  आएगा
तो  देश  फिर  से  सोने  की  चिड़िया  कहलायेगा 

Friday 1 June 2012

रिश्वतखोरों को न दो तुम पुरस्कार (Don't Give Prize To Bribe-takers)

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रिश्वतखोरो को न दो तुम पुरस्कार
सब मिलकर करो इनका बहिष्कार
कर रहे ये भ्रष्टाचारी भारत को बीमार
इनको तो करना है अब लाचार
तब जाके होगा भारत का उध्दार
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना होगा साकार
रिश्वतखोरो को न दो तुम पुरस्कार
सब मिलकर करो इनका बहिष्कार
बढ रहा ये भ्रष्टाचार
ले रहा बड़ा आकार
कुछ दिनों में हो जायेगा दैत्याकार
मत करो तुम इन बेईमानो को स्वीकार
रिश्वतखोरो को न दो तुम पुरस्कार 
सब मिलकर करो इनका बहिष्कार
दीमक की तरह खाय जा रहा ये भ्रष्टाचार
महंगाई बढ रही लगातार
मचा रहा जो ये हाहाकार
कर दो तुम इनको निराधार
रिश्वतखोरो को न दो तुम पुरस्कार
सब मिलकर करो इनका बहिष्कार


अगर भ्रष्टाचार को करना है ख़तम ( If Corruption is to eliminate)

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अगर भ्रष्टाचार को करना है ख़तम
तो लेनी होगी हम सबको ये कसम
की न रिश्वत लेंगे और न देंगे हम
मैंने तो ये ठानी है
रोकनी भ्रष्टाचारियो की मनमानी है
फिर बनने वाली एक कहानी है
इनको रोकते हुए जान तो मेरी जानी है
ये जानते हुए भी मै न रुकुंगा
भ्रष्टाचार को ख़त्म कर के रहूँगा
अब न मै कोई जुल्म सहूंगा
और न किसी को सहने दूंगा
इसके लिए हम सब को जागना पड़ेगा
रिश्वत देने की आदत को त्यागना पड़ेगा
सच्चा देशभक्त बनना पड़ेगा
हर बुराई से लड़ना पड़ेगा
तब जाके ख़त्म होगा ये भ्रष्टाचार
फिर न किसी पे होगा अत्याचार
आओ मिलकर करे पुकार
बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टचार

Thursday 31 May 2012

मेरा देश (My Country)

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एक अनोखा देश हमारा
जो हमको प्राणों से प्यारा
उत्तर में है हिमालय विशाल
मध्य में है नदियों का जाल
पश्चिम में फैला मरुस्थल
पूरब में है भरा पूरा जंगल
एक अनोखा देश हमारा
जो हमको प्राणों से प्यारा
दक्षिण में है हिंद महासागर
पश्चिम में है अरब सागर
बंगाल की खाड़ी है पूरब में
देश हमारा प्रायदीप की सूरत में
एक अनोखा देश हमारा
जो हमको प्राणों से प्यारा
कई भाषा और बोलिया यहाँ पर
कई धर्म और मजहब जहा पर
कई छोटे द्वीप यहाँ पर
बड़े बड़े पठार जहा पर
एक अनोखा देश हमारा
जो हमको प्राणों से प्यारा

Wednesday 30 May 2012

मुझे गुस्सा क्यों आता है (Why I Get Angry)

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देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है 
ऊपर से जब किसी काम के लिए 
दस रूपये भेजा जाता है 
नीचे पहुचते पहुचते 
दस पैसे क्यों हो जाता है 
खुद के काम के लिए 
रिश्वत क्यों लिया जाता है 
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
न्याय के लिए चक्कर
काटने क्यों पड़ते है
गोदामों में रखे हुए
अनाज क्यों सड़ते है
किसानो से भी ज्यादा
मुनाफाखोर क्यों कमाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
भ्रष्टाचारियो को सजा
क्यों नहीं मिल पाती
भारत तेजी से तरक्की
क्यों नहीं कर पाती
महंगाई हर चार दिन में
क्यों बढ़ जाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
वोट डालते वक़्त जनता
अक्ल क्यों नहीं लड़ाती है 
 मुजरिमों को संसद में
क्यों पहुचाती है
बेरोजगारों को रोजगार
क्यों नहीं मिल पाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
कई गरीब रात में
भूखा क्यों सो जाता है
बार बार शेयर मार्केट हमारा 
क्यों गिर जाता है 
जनसँख्या हमारी तेजी से 
क्यों बढ़ जाता है 
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
भारत ओलंपिक में कोई
मेडल क्यों नहीं पाता है
क्रिकेट के खेल को इतना
बढ़ावा क्यों दिया जाता है
हाकी के खेल को हरकोई
क्यों नहीं अपनाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है   
 

Tuesday 29 May 2012

सबसे प्यारा गाँव हमारा (Our fondest village)

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सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
स्वच्छ हवा बहती यहाँ है
स्वच्छ जल मिलती यहाँ है
खेत खलिहानों से भरा पूरा गाँव है
यहाँ हर तरफ पेड़ो की छाँव है
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
हर त्यौहार को उल्लास से मनाते है
बड़े बड़े तालाबो में नहाने हम जाते है
पर्यावरण का  ख्याल हम रखते
पेड़ो की रखवाली हम करते
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
बड़ो का यहाँ है आदर सम्मान
मुझको है अपने गाँव पे अभिमान
सादगी से सब जीवन जीते
गायो का पौष्टिक दूध सब पीते
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा

मै असफल क्यों हु ? (Why am I failing)

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मै बार बार असफल क्यों हो जाता हु 
बार बार ऐसी कौन सी गलती कर जाता हु 
शायद सफल होने के लिए पूरी ताक़त नहीं लगाता हु 
अधूरी तैयारी के साथ परीक्षा देने जाता हु 
अभ्यास करने में कामचोरी दिखाता हु 
इसलिए मै कुछ लिख नहीं पाता हु 
अब से पूरा अभ्यास करूँगा 
पूरी तैयारी के साथ ही परीक्षा दूंगा 
सभी प्रश्न मै हल करूँगा 
तब जाकर मै सफल होऊंगा

यादें (Memories)

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कुछ पल बहुत याद आते है 
जो हमको तड़पा जाते है 
अपनी यादे  ताजा कर जाता हु 
आपको एक दास्ताँ सुनाता हु 
बात उस समय की है जब मै स्कुल जाया करता था 
तालाबो में मज़े से नहाया करता था 
दोस्तों में मेरा एक दोस्त था मुन्ना 
रहता था हरदम चौकन्ना 
हमेशा हसी मजाक किया करता था 
ज़िन्दगी को भरपूर जिया करता था 
लेकिन वक़्त ने ऐसी पलटी खाई 
उसने मौत को गले लगाई
जाने वो क्या कर गया 
हम दोस्तों के सीने में दर्द भर गया 
वो हमें आज भी याद आता है 
आँखों में आंसू दे जाता है 
कुछ पल बहुत याद आते है 
जो हमको तड़पा जाते है

जनसंख्या (Population)

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जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
खाद्द्यान्न संकट खड़ा हो गया
उर्जा संकट बढ़ा हो गया
भुखमरी चारो ओर बढ़ी
गरीबी की समस्या सामने खड़ी
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
बेरोजगारी हताशा ला रही
आर्थिक संकट की चिंता खाय जा रही
महंगाई तेजी से बढ़ रही
आम लोगो का जीना मुश्किल कर रही
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा
जनता को न्याय नहीं मिल रहा
जंगल काटे जाते है
पेड़ न कोई लगाते है
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
चारो ओर प्रदुषण बढ़ते जा रहा
नई नई बीमारिया फैला रहा
खतरे में है वन्यजीवों का जीवन
हो रहे रोज उनपर नए नए सितम
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
हमें इन समस्यायों से निजात पाना होगा
जनसंख्या के बढ़ने पे अंकुश लगाना होगा
हमें कुछ तो कदम उठाना होगा
छोटा परिवार , सुखी परिवार का नारा लगाना होगा

Monday 28 May 2012

इस बार की गर्मी (Summer of this time)

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इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी
तपती धुप जला रही है
लू के थपेड़े झुलसा रही है
जंगल धू धूकर जल रहे है
ग्लेशियर के बर्फ पिघल रहे है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी  
ग्लोबल वार्मिंग के सही मायने समझा रही है
पेड़ो के कटने का दुष्परिणाम बता रही है
तेज हवा घरो के छत उड़ा रही है
धुल के गुब्बार बवाल मचा रही है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी
पंखे और कूलर के बिना दिन नहीं कट रहे है
राहगीर पेड़ो की छाव ढूंढ़ रहे है
पसीने से कपडे भीग जा रहे है
गर्मी से पानी उबल सा जा रहा है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी  

Sunday 27 May 2012

डर (Fear)

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हर काम को पहली बार करने से डर लगता है
डर के कारण पसीना छूटने लगता है
जब मै पहली बार स्कुल गया मै डरा
जब मै पहली बार साइकिल चलाया मै डरा
जब मै पहली बार घर से बाहर के स्कुल में पढ़ा मै डरा
जब मै पहली बार कॉलेज गया मै डरा
नौकरी के लिए पहली बार साक्षात्कार में मै डरा
नौकरी में पहले दिन मै डरा
जब मै पहली बार बाइक में चढ़ा मै डरा
जब पहली बार शादी की बात हुई मै डरा
जब पहली बार लड़की देखने गया मै डरा
पहली बार जब किसी छोटे बच्चे को गोद में उठाया मै डरा
पहली बार जब भाषण दिया मै डरा
पहली बार बस की सवारी में मै डरा
पहली बार ट्रेन की सवारी में मै डरा
पहली बार कार की सवारी में मै डरा

गाँधी और भगत सिंह (Gandhi And Bhagat Singh)

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मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी की सादगी मुझे भाती है
तो भगत की तीखी तेवर मुझे उकसाती है
गाँधी की सत्याग्रह मुझे पसंद है
तो कुर्बान होने की भगत के ललक में भी आनंद है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी का असहयोग सब पे भारी है
तो भगत के क्रांति के विचार के हम आभारी है
गाँधी का मौन उचित था
तो भगत का अंग्रेजो को डराना भी सही था
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी को महात्मा पुकारना अच्छा लगता है
तो भगत को शहीद -ए-आजम बुलाना सच्चा लगता है
गाँधी राष्ट्र के पिता है
तो भगत युवाओ के जान है
गाँधी और भगत दोनों महान है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु

Friday 25 May 2012

देश की हालत

3 comments:
देख वतन का हाल
बहती है अश्क की धार
जनता को ही लुट रही
जनता की चुनी सरकार

अपराधियों से भरी संसद
कानून दिखती लाचार
रिश्वत की लत लगी सभी को
हर ओर फैला भ्रष्टाचार

चोर पुलिस है भाई भाई
आम जनता सहती अत्याचार
ईमानदारों का मुँह है बंद
बेईमानों को मिलता पुरुस्कार

जिसने भरा सबका पेट
वो सहता महंगाई की मार
अमीरों के साथ है दुनियां
गरीब हो गए है निराधार

छीन किसानों की जमीनें
हो गए कई मालदार
जिसने की आवाज़ बुलंद
पहुँच जाता है वो कारागार

रुकना नहीं (Don't Stop)

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तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई  मेरे वतन से  खिलवाड़ करे नागवार करूँगा
न मै कोई जुल्म सहूंगा न ही सहने दूंगा 
हर जुल्म और अत्याचार का मुहतोड़ जवाब मै दूंगा
सर पे कफ़न  बांध जो निकला हु घर से
बिना मंजिल  पे पहुचे न आराम करूँगा
जो कोई भी  मेरा  रास्ता  रोकेगा 
उसका जीना मै हराम करूँगा    
तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई   मेरे  वतन  से खिलवाड़  करे  नागवार   करूँगा
मुझे पता है राह में मुश्किलें आएँगी बहुत
पर हर मुश्किलों पे अपनी जीत का परचम लहराऊंगा
हार न मानूंगा इन मुश्किलों से मै कभी
और दुनिया को मुश्किलों  से जीतना सिखलाऊंगा
तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई मेरे  वतन से खिलवाड़  करे नागवार करूँगा

दहेज़ एक अभिशाप (Dowry System A Curse)

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दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

सपने संजोये बेटिया पिया के घर जाते है
पर दहेज़ के लोभी उसे बहुत रुलाते है
जब वह ये सब नहीं सह पाती है
तब आत्महत्या कर जाती है

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

देश के अन्दर आज अगर लडकिया न होगी
तो पत्नी और माएं भी न होगी
लडकियों को सम्मान और अधिकार दिलाना है
दहेज़ के छाप को लोगो के मन से मिटाना है

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

दिनोदिन लडकियों की संख्या में गिरावट आ रही है
क्युकी लोगो के दिलो में दहेज़ की चिंता सताए जा रही है
अगर दहेज़ की व्यवस्था हो जाये ख़तम
तो लडकियों और लडको की संख्या बराबर रहेगी हरदम

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

Wednesday 23 May 2012

माता पिता का साथ (With Parents)

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माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
बहुत कुछ  सहकरके तुम्हे  बड़ा  किये  है
तुम्हे  अपने  पैरो  पर  खड़ा  किये  है
तुम्हारे  खुशियों  के  अलावा  कुछ  न  चाह रखते  है
तुम्हारे  मुस्कराहट  के  सिवा  कुछ  न  मांग  करते  है
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
खुद  से पहले  तुम्हे  खिलाते थे
जब  तुम  रोते  थे  तो  खुद  बच्चे  बन  जाते  थे
खुद  जागकर  तुम्हे  सुलाते  थे
घुटनों  में  बैठ  के  तुम्हे  चलना  सिखाते  थे
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
शिक्षक  बन  तुम्हे  पढाया
दर्द  सहते  हुए  भी  तुम्हे  हसाया
तुम  इस  ओहदे  पर  पहुचे  हो
तुम्हे  इस  काबिल  बनाया
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना

Tuesday 22 May 2012

युवा(Youth)

No comments:
देश की  मुख्य  स्तम्भ  है  युवा
क्रांति  के  अग्रदूत  है  युवा
देश  को  अगर  भ्रष्टाचार  से  मुक्ति  दिलाना  है
तो  इसके  लिए  युवाओ  को  आगे  आना है
ये  युवा  ही  नए  भारत  को  गड़ेंगे
जब  ये  मिलकर  एक  साथ  गरजेंगे
मेरे  नज़र  में  हर  वो  शख्स  युवा  है
जिनके  तन  तो  नहीं  विचार  जवा है
हे  युवाओ  मत  करो  बर्बाद  अपनी  जवानी
देश  की  खातिर  दो  तुम  क़ुरबानी
हर  अन्याय  का  तुम  मुहतोड़  जवाब  दो
हर  अत्याचारी  से  तुम  हिसाब  लो
मत  करना  अपना  जीवन  कलंकित
कमजोरो  को  न  करना  आतंकित
हर  शख्स  को  मिले  न्याय  ऐसी  व्यवस्था  तुम  करो
भ्रष्टाचारियो  और  अन्यायी  से  तुम  न  डरो
अपने  कर्मो  से  लिखो  ऐसा  गीत
हो  जाये  पूरा  भारत  समृध्द

Monday 21 May 2012

पर्यावरण (Environment)

No comments:
पर्यावरण को बचाना हमारा ध्येय हो
सबके पास इसके लिए समय हो
पर्यावरण अगर नहीं रहेगा सुरक्षित
हो जायेगा सबकुछ दूषित
भले ही आप पेड़ लगाये एक
पूरी तरह करे उसकी देखरेख
सौर उर्जा का करे सब उपयोग
कम करे ताप विद्युत् का उपभोग
रासायनिक खाद का कम करे छिडकाव
भूमि को प्रदूषित होने से बचाव
कचड़ो का समुचित रीती से करो निपटारा
फिर न होगी कोई नदी प्रदुषण का मारा
फैक्ट्रियो में जब सौर यन्त्र लगाई जाएँगी
वायु प्रदुषण में अपने आप कमी आएँगी
तब जाकर पर्यावरण प्रदुषण में कमी आएँगी
आधी बीमारिया अपने आप चली जाएगी 

मेरा बचपन (My Childhood)

2 comments:
देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन
 
सोचता हु फिर से बच्चा बन जाऊ
धमा चौकड़ी फिर से मचाऊ
तोतली जबान से पापा पापा चिल्लाऊ
पर वो जादू की छड़ी कहा से लाऊ
जिससे फिर से बच्चा बन जाऊ

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन

मुझे बहुत याद आता है वो समय
जब दिनभर खेलता था दोस्तों के साथ होकर निर्भय
माँ के डाटने पर घर चला जाता था
खाना खाकर जल्दी सो जाता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन

भाइयो के साथ झगडा मचाता था
पापा के आने पर शांत हो जाता था
पहिये दौड़ाकर मै खेला करता था
पेड़ो की पतली  टहनियों पर चढ़ा करता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन
याद आता है मुझे मेरा बचपन

खिलौनों के लिए जिद किया करता था
जब मै मेलो में घुमा करता था
घुमने भैया के कंधो में बैठकर जाया करता था
मिठाईया और गुब्बारे लिवाया करता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन  

Sunday 20 May 2012

मजदुर की अभिलाषा (wish of worker)

1 comment:
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
मेहनत के बदले दो वक़्त की रोटी पाना
पढ़ा लिखाकर अपने बच्चो को
ऊँचे पदों पर पहुचाना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
बंगले गाड़ी का शौक नहीं
एक छोटी सी कुटिया और
परिवार के साथ जीना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
देश की उन्नति
राज्य की प्रगति
और गाँव की समृध्दी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
न हो भारत में कोई निर्धन
न हो किसी की भुखमरी से मौत
न हो कोई बेरोजगारी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु

Saturday 19 May 2012

फरियाद (Request)

No comments:
हे प्रभु हम किसानो की फरियाद सुनो
थोड़ी सहूलियत हमें भी तो दो
बेमौसम  बारिश कराते हो
हम किसानो को कितना रुलाते हो
अनाज उगाने के लिए सारी मेहनत हमसे कराते हो
फायदा मुनाफाखोरो और बिचौलिए का कराते हो
कुछ ऐसी व्यवस्था बनाओ 
सस्ते दामो में बीज और खाद उपलब्ध कराओ
सिंचाई के लिए न हो हम परेशान
ज़िन्दगी करो थोड़ी हमारी आसान

हिम्मत न हार (Don't Give Up)

No comments:
हिम्मत न हार , बन्दे  हिम्मत न हार
बाधाओं पर कर प्रहार , कर प्रहार
अब न सह ये अत्याचार , ये अत्याचार
पापियों का कर संहार , कर संहार
हिम्मत न हार, बन्दे हिम्मत न हार
अभी तो ये है मजधार , मजधार
जाना है तुझे उस पार, उस पार
जल्दी चला तू अपनी पतवार ,पतवार
हिम्मत न हार , बन्दे हिम्मत न हार
करना है तुझे सपने साकार , कर साकार
मत होने दे अपनी ज़िन्दगी बेकार ,बेकार
कर ऐसा काम की हो तेरा आदर सत्कार, आदर सत्कार
हिम्मत न हार , बन्दे हिम्मत न हार

Friday 18 May 2012

मंजिल (Destination)

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हौसला रख वो समय भी आएगा
जब तू अपनी जीत का परचम लहराएगा
हर बुराई तुझसे हार जायेगा
हर अच्छाई तुझसे जुड़ता चला जायेगा
वैसे तो रास्ते में बाधाएं आएँगी बहुत
लेकिन तेरे धीरज से वो दूर होते चले जायेगा
रुकना न तू कभी हार के
बाधाओं को फेंक दे उखाड़ के
मेहनत कर तू लगन से
पर्वत को भी तू मैदान कर जायेगा
मंजिल अभी दूर है मगर बढते चल
आज नहीं तो कल मिल ही जायेगा

Thursday 17 May 2012

मेरी कविता(My Poem)

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ज़िन्दगी में एक लहर सी उठी है
कुछ नया करने का मन में ठनी है
कविता लिखने का ख्याल मन में आया है
पर दिमाग में हर तरफ अँधेरा छाया है
सोच रहा हु क्या लिखू ?
अपने या देश के बारे में कुछ कहू ?
देश हमेशा ही मुझसे बड़ा है
मन में बहुत से सवाल खड़ा है
महंगाई से जनता हो गई है त्रस्त
नेता और प्रशासन हो गए है पस्त
भ्रष्टाचार चारो ओर फैला है
हो रहा भारत माँ का आंचल मैला है
एक तरफ बेरोजगारी लोगो की जान ले रही है
दूसरी तरफ नेताओ और अफसरों के घर भंडार भरी पड़ी है
किसान कड़ी मेहनत के बाद जो कमाता है
मुनाफाखोर उससे दुगुना ले जाता है
मजदुर अपनी मजदूरी बढाने  के लिए रो रहा है
क्योकि थोड़ी से पैसो से खर्च पूरा नहीं हो रहा है
लेकिन मालिक तो मज़े से सो रहा है

सपनो का भारत (India Of Dream)

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खून का हर एक कतरा वतन के नाम हम करेंगे
अपनी जवानी को बदनाम न हम करेंगे
वतन के लिए ही जियेंगे और वतन के लिए ही मरेंगे
जो वतन की राह में आया उसे मिटा दिया हम करेंगे
भ्रष्टाचार मुक्त वतन का निर्माण हम करेंगे
सबको न्याय मिले ऐसी व्यवस्था हम करेंगे
बेरोजगारी में न फिर कोई दिन गुजरेगा
सब हाथो को मिले रोजगार ऐसी व्यवस्था हम रखेंगे
महंगाई को हम न बढने देंगे
किसी किसान को न आत्महत्या करने देंगे
भय और आतंक को न हम बढने देंगे
ऐसी सुरक्षित भारत का निर्माण हम करेंगे  

Wednesday 16 May 2012

भ्रष्ट नेता और अफसर (Corrupt politician and Officer )

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भ्रष्ट नेता  और  अफसरों  ने  सड़को का  ऐसा  किया  है  काम
बड़े  बड़े  गड्डे रहते  है  इसमें  और  लगा  रहता  है  जाम
बिना  काम  किये  पाए  ये  इनाम
जो  इनके  खिलाफ  बोले  करते  ये  उसे  बदनाम
भ्रष्ट  अफसरों  और  नेताओ  पर  अगर  कसी जाये  लगाम
पूरे  भारत  से  हो  जाये  भ्रष्टाचार  का  काम  तमाम
कोई  न  कर्मचारी  फिर  रहेगा  बेलगाम
समय  से  पूरे  होंगे  सारे  काम
पुकारे भारत  का  हर  एक  अवाम
भ्रष्टाचार  का  न  रहे  नामो निशान

Monday 14 May 2012

बारिश (Rain)

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आसमान पर छाई है काली घटाएँ
सूरज भी जा छुपा है बादलों के साये 

तेज बहती पवन और पत्तों की सरसराहट 
लगती है ऐसे जैसे हो तूफ़ान की आहट

चकाचौंध रौशनी सी बिजली की चमक 
बादलों की गडगडाहट और बूंदों की धमक 

पहली बारिस की बुँदे मिट्टी की सौंधी महक 
सुखी तरसती धरती उठी है चहक 

कभी रिमझिम फुहार तो कभी मूसलाधार 
कभी थम के बरसता है तो कभी लगातार 

आवारा हवा (Strolling Air)

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मै एक आवारा हवा
नहीं मुझे किसी की परवाह 
उड़ता फिरता हू मै हर कहीं 
कभी बादलों के ऊपर
तो कभी पेडों की छाँव तले
कभी समुन्दर के लहरों से खेलता हू 
तो कभी पर्वतों को धकेलता हू 
कभी नदियों के संग बहता हू 
तो कभी पंक्षियों के संग उड़ता हू 
बर्फीली चादर को छू ठिठुरता हू 
लू के थपेडों से जलता हू 
कभी किसी के आंसुओ के संग गिरता हू 
तो कभी मुस्कुराते लबो को छूता हू 
कभी नावों में बैठ झीलों कि सैर करता हू 
कभी किसी पेड़ से बैर करता हू 
मै एक आवारा हवा 
नहीं मुझे किसी की परवाह