आसमान पर छाई है काली घटाएँ
सूरज भी जा छुपा है बादलों के साये
तेज बहती पवन और पत्तों की सरसराहट
लगती है ऐसे जैसे हो तूफ़ान की आहट
चकाचौंध रौशनी सी बिजली की चमक
बादलों की गडगडाहट और बूंदों की धमक
पहली बारिस की बुँदे मिट्टी की सौंधी महक
सुखी तरसती धरती उठी है चहक
कभी रिमझिम फुहार तो कभी मूसलाधार
कभी थम के बरसता है तो कभी लगातार