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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday 16 July 2012

कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है (There is yet to fulfill some desires )

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कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
ठंडी बहती हवाओ में
दूर तक फैले झील में
दुधिया चांदनी रात में
नाव कि सैर अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
चारो ओर सुन्दर खिले फुल हो
पेडों की छाया इतनी घनी हो
कि दूर तक धुप न पहुचे जमीं पर
ऐसे घनघोर जंगल का भ्रमण अभी बाकी है
कुछ हसरते अभी पूरी करनी बाकी है
बर्फ कि चादर बिछी हो
ओलो कि बारिश जहाँ हो
ऊँची ऊँची पर्वत चोटियाँ घिरी हो
ऐसी जगह जाना अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है 

Sunday 15 July 2012

मै मुसाफिर हू (I am a traveler)

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पथरीली राहों का मै मुसाफिर हू
मेरी राह में नुकीले कांच भी है और कांटे भी
चलना है इनपर मुझे नंगे पाँव
राह में न है कोई ठहराव और न कोई पेडों कि छाँव

मैंने ये राह अपनी मर्ज़ी से चुनी है
क्योकि मन में कुछ कर गुजरने कि ठनी है
शाम ढलते तक मंजिल में पहुचनी है
क्योकि राह में न चांदनी है न रौशनी है

चिलचिलाती धुप है
न पानी है न जूस है
पाँव दर्द से रो रहा है
पर मन हौसला न खो रहा है

राह बीच एक घनघोर जंगल है
पर न लाठी है न बन्दुक है
मेरा हौसला मेरा डर भगा रही है
मंजिल कि ओर लिए जा रही है 

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू

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एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

याद आ रहा है वो पल सुहाना
तोतली जबान से माँ को बुलाना
घुटनों के बल रेंगना
भईया के साथ खेलना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

बारिश में झूला झुलना
पापा के कंधो में घूमना
अनमने मन से स्कुल जाना
फिर दौड़ते हुए घर आना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

बहाने बनाकर स्कुल न जाना
बारिश कि पानी में कागज कि नाव चलाना
दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाना
मस्ती में डूबकर नाचना गाना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू


बेवफाई bewafai

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बेवफाई ये कैसी कि है तुने
लुट के ले गई मेरा चैन और सुकून सारा
जाना ही था तो आई क्यों जिंदगी में
बड़ा दर्द दे रहा है ये खेल तुम्हारा

जान देते थे हम तेरी एक हँसी के लिए
तेरी हर मुस्कराहट था हमको प्यारा
जाने तुमने क्या सोचकर ये कदम उठाया
तुम न जाती तो एक सुन्दर सा घर होता हमारा

तेरे दिए दर्द से आँसू न रुक रहे है मेरे
तेरी जुदाई ने हर खुशियों को है मारा
तेरी याद मुझे तड़पा रही है
ढूँढ रहा हू मै कोई सहारा

दूर क्यों हो लौट आओ तुम
इंतज़ार है अभी भी समझ लो ये इशारा
तेरे लिए बदला था मैंने अपने को
ऐसा ही रहा तो कही मर न जाऊ मै  कुंवारा 

Saturday 14 July 2012

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए

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शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

उतर आया है इस जमीं पे आज
भगवान भी मानव बनकर
अपने सद्कर्मो से
भारत के लोगो का, सोये भाग्य जगाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

बहुत सह लिए अन्याय हम
दर्द अब नहीं हो रहा कम
मानवता का निकल रहा दम
निकले है चंद लोग, भारत को बचाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

आँखें मुंदी सरकार है
अब चुप बैठना बेकार है
मिटने को हम तैयार है
समय आ पंहुचा है, इस देश पर कुर्बान हो जाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए


एक अजीब सी बेचैनी छाई है

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एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

डूबा रहता हू तेरी यादों में दिनभर
जीना हो गया है मेरा दुर्भर
जब तक तू मुझसे जुदा रहेगी
तन्हाइयों में डूबा ये फिजा रहेगी

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

तेरी यादें ही मुझे जिंदा रखी है
कभी खुशी तो कभी आँखों में आँसू देती है
तुझे भुलाने कि कोशिश कि मैंने बहुत
पर तू कभी ख्वाब तो कभी याद बनकर हर वक्त साथ रही है

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

आँखें इंतज़ार कर रही है तेरे आने की
दिल भूल नहीं पाया है दर्द तेरे जाने की
अब तो लौटकर आ जा
मेरे दिल को यु इतना न तड़पा

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है


आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है (Today life is testing again)

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आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

घिरा हू मुश्किलों से मै अब
सबसे ज्यादा जरुरत थी तब
साथ छोड़ गए है सब
अब तो आँसू भी न रुक रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

जाने कितनी लंबी होगी ये काली रात
समझ आ रहा है केवल एक बात
सहना है मुझे वो सब जो हो रहा मेरे साथ
रुकना नहीं है राह में ये दिल मुझसे कह रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

कई कांटे चुभे है पांव में
चैन नहीं है अब पेड़ों कि छाँव में
समतल सडको में भी फिसल जा रहे है हम
सुकून देती थी जो अब वो भी दर्द जिंदगी में भर रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है


Monday 9 July 2012

आग (Fire)

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धधक रही है आग
उड़ा रही है राख
पूरी दुनिया में फैलने को
बेकरार है ये आग

जो भी इस आग के सामने आएगा
ख़ाक में मिल जाएगा
मामूली नहीं है ये आग
कह रही है ये राख

बरसो बाद जली है ये
कांटो में पली है ये
अब बुझने वाली नहीं है ये आग
जब तक दुश्मनों को न कर दे सुपुर्देखाक

परिवर्तन ले के आई है ये
दुनिया को बदल जायेगी ये
एक नई व्यवस्था लाने
आई है ये आग 

ना जाने क्यों मै डरता हू

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जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू

पहला दिन स्कुल का
जैसे सजा मिल रही हो किसी बड़ी भूल का
पहली बार जब हाथ में लिया साईकिल
सर से पाँव तक मै गया हिल

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू


पहली बार गाँव के बाहर स्कुल में पढ़ना
जैसे लग रहा था मुझे है कोई जंग लड़ना
कालेज का वो पहला दिन
लगता था जैसे पूरी ताकत गया है छीन

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू


पहली बार का साक्षात्कार
लग रहा था जैसे हू मै कोई गुनाहगार
पहला दिन नौकरी का
हाल ऐसा था जैसे जरुरत से ज्यादा भरे टोकरी का

जब कोई काम पहली बार मै करता हू
ना जाने क्यों मै डरता हू

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है

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आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

आज निकले है चंद लोग देश बचाने के लिए
हो रहे घोटालों से मुक्ति दिलाने के लिए
अपनी जान गवाकर लोगो कि खुशियाँ लौटाने के लिए
देश के लिए फ़ना होने वाली सरफरोशी कि आस है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

भारत माँ का आँचल है मैला हो चूका
सोने कि चिड़िया कहलाने का हक है खो चूका
जनता भी अब बहुत रो चुकी
जो अब भी नहीं जागा वो एक लाश है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है

रिश्वतखोरी कि जड़े है बहुत गहरी
भ्रष्टाचार है लोगो के दिलोदिमाग में भरी
पुकार रहा है अपना ये जमीं
जो देश के लिए मिटेगा वो एक खास है

आज़ादी के लिए लड़ने वाली जूनून कि तलाश है
एक और आजादी कि लड़ाई बहुत पास है


Wednesday 4 July 2012

एक अनाथ कि भावनाए (Feelings of an orphan)

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दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

अपना कोई है नहीं, पराया किसी को कहते नहीं
मिलता है जो खुशी से, मिलते है हम भी हँसी से
तन्हाई से है प्यार, किसी का न इंतज़ार
कभी शहर तो कभी पेशा बदल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

मेहनत कि खाता हू, चैन से सो जाता हू
घर कभी बनाया नहीं, रह लेता हू मै हर कही
करता हू काम सच्चाई से, प्यार है अच्छाई से
माँ कि ममता के लिए तिल तिल पिघल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू

गाडी बंगले का शौक नहीं, सादा जीवन ही सही
नहीं है मुझमे कोई व्यसन, जो भी कपडे मिल जाये लेता हू पहन
अनजान है ये डगर ,अनजान है ये सफर
देखकर दूसरे परिवारों को इर्ष्या से जल रहा हू

दुनिया कि भीड़ में, मै अकेला चल रहा हू
कभी उदास बैठा हू, तो कभी खुशी से उछल रहा हू


स्वतंत्रता दिवस (Independence Day)

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स्वतंत्रता दिवस जब आता है
हम सब में जोश भर जाता है
लाखों ने दी थी अपनी कुर्बानी
कइयो ने न्योछावर कि अपनी जवानी

वीरो ने लड़ी थी ये लड़ाई
सदियों बाद हमें जीत मिल पाई
कोई नहीं कर पायेगा उनकी भरपाई
जिन्होंने आजादी कि लड़ाई में जान गवाई

आज भी हमें याद है वो
आजादी के लिए लड़े थे जो
पर देश कि सरकार रही है सो
आजादी का सही मतलब रहा है खो

आमजनो कि आजादी रही है छीन
बर्ताव हो रहा इनके साथ औरो से भिन्न
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाए
सब रहे खुशी से ऐसा परिवेश बनाए

किसान (Former)

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मै एक किसान हू
बारिश न होने से परेशान हू
उगाता सब्जियां और धान हू
आधुनिक तकनीक से अनजान हू

मेहनत करता हू दिन रात
तब जाकर उगता है अनाज
हल चलाकर बोता हू बीज
गाय और बैल है मेरे मीत

कीट पतंगे और चूहे
दुश्मन है ये हमारे
मेरे उगाए अनाज से ही
पेट भरते है तुम्हारे

चाहे सुखा हो या बाढ़
दोनों लाते है दुखो का पहाड़
जूझ रहे है हम कमियों से
ठगे जा रहे है बिचौलियों से 

Tuesday 3 July 2012

डरता हू मै कहीं मेरे दामन में दाग न लग जाए

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डरता हू मै कहीं मेरे दामन में दाग न लग जाए
डरता हू मै कहीं लोग मुझे बेईमान कहकर न बुलाये
इसीलिए अपने कर्मो को साफ़ सुथरा रखता हू
जो मेरे जमीर को भाये वही काम करता हू
भ्रष्टाचार के नाम से ही चिढ आती है
गद्दारों कि संगत मुझे नहीं भाती है
आज ऊपर से नीचे तक हर कोई रिश्वत ले रहा
आम आदमी अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा दे रहा
एक गरीब को साबित करने के लिए कि वो गरीब है
पैसा दे रहा ये कैसा उसका नसीब है
भ्रष्टाचारियों ने एक ऐसा किला है बनाया
जिसको आज तक कोई भेद नहीं पाया
निकला हू मै इसे उजाड़ने
सच्चाई और इमानदारी का झंडा गाड़ने 

शिक्षक (Teacher)

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देश के आधार स्तंभ है शिक्षक
यही तो बनाते है इंजीनीयर और चिकित्सक
अक्षरों को लिखना ये बताते
शब्दों को पढ़ना है सिखाते
बच्चो के है भाग्य निर्माता
कहते है सब इनको विधाता
सीधा सरल जीवन है इनका
करते है भलाई सबका
पक्षपात के बिना काम है करते
हमारी जीवनशैली का निर्माण है करते
स्वच्छता का है पाठ पढाते
सच झूठ को है पहचान जाते
गलतियों पर शिक्षकों का डटना फटकारना
जैसे सहारा देकर घड़े को कुम्हार का मारना
बड़ा महान है इनका काम
पुरे शिक्षक जाति को हमारा सलाम 

नेताजी (Politician)

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नेताजी है बड़े चतुर
चुनाव लड़ने रहते आतुर
लोगो को झूठे वादों में फसाते है
चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते है
भोलीभाली जनता को बेवकूफ बनाते है
झोलियाँ अपनी भरते जाते है
केवल चुनाव के समय ही दीखते है
बाकी समय तो विदेश में फिरते है
उज्जवल कपड़ो में हमेशा रहते है
करम उतने ही बुरे करते है
भ्रष्टाचार इनके लिए आम बात है
अय्याशी में गुजरती हर रात है
पाल के रखते है ये गुंडे
एक नहीं कई मुस्टंडे
जो बोले इनके खिलाफ
बंद कर देते उसकी आवाज़