देख वतन का हाल
बहती है अश्क की धार
जनता को ही लुट रही
जनता की चुनी सरकार
अपराधियों से भरी संसद
कानून दिखती लाचार
रिश्वत की लत लगी सभी को
हर ओर फैला भ्रष्टाचार
चोर पुलिस है भाई भाई
आम जनता सहती अत्याचार
ईमानदारों का मुँह है बंद
बेईमानों को मिलता पुरुस्कार
जिसने भरा सबका पेट
वो सहता महंगाई की मार
अमीरों के साथ है दुनियां
गरीब हो गए है निराधार
छीन किसानों की जमीनें
हो गए कई मालदार
जिसने की आवाज़ बुलंद
पहुँच जाता है वो कारागार
बहती है अश्क की धार
जनता को ही लुट रही
जनता की चुनी सरकार
अपराधियों से भरी संसद
कानून दिखती लाचार
रिश्वत की लत लगी सभी को
हर ओर फैला भ्रष्टाचार
चोर पुलिस है भाई भाई
आम जनता सहती अत्याचार
ईमानदारों का मुँह है बंद
बेईमानों को मिलता पुरुस्कार
जिसने भरा सबका पेट
वो सहता महंगाई की मार
अमीरों के साथ है दुनियां
गरीब हो गए है निराधार
छीन किसानों की जमीनें
हो गए कई मालदार
जिसने की आवाज़ बुलंद
पहुँच जाता है वो कारागार