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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Wednesday, 30 May 2012

मुझे गुस्सा क्यों आता है (Why I Get Angry)

देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है 
ऊपर से जब किसी काम के लिए 
दस रूपये भेजा जाता है 
नीचे पहुचते पहुचते 
दस पैसे क्यों हो जाता है 
खुद के काम के लिए 
रिश्वत क्यों लिया जाता है 
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
न्याय के लिए चक्कर
काटने क्यों पड़ते है
गोदामों में रखे हुए
अनाज क्यों सड़ते है
किसानो से भी ज्यादा
मुनाफाखोर क्यों कमाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
भ्रष्टाचारियो को सजा
क्यों नहीं मिल पाती
भारत तेजी से तरक्की
क्यों नहीं कर पाती
महंगाई हर चार दिन में
क्यों बढ़ जाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
वोट डालते वक़्त जनता
अक्ल क्यों नहीं लड़ाती है 
 मुजरिमों को संसद में
क्यों पहुचाती है
बेरोजगारों को रोजगार
क्यों नहीं मिल पाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
कई गरीब रात में
भूखा क्यों सो जाता है
बार बार शेयर मार्केट हमारा 
क्यों गिर जाता है 
जनसँख्या हमारी तेजी से 
क्यों बढ़ जाता है 
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है
भारत ओलंपिक में कोई
मेडल क्यों नहीं पाता है
क्रिकेट के खेल को इतना
बढ़ावा क्यों दिया जाता है
हाकी के खेल को हरकोई
क्यों नहीं अपनाता है
देश की हालत देखकर 
मुझे गुस्सा क्यों आता है   
 

Tuesday, 29 May 2012

सबसे प्यारा गाँव हमारा (Our fondest village)

सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
स्वच्छ हवा बहती यहाँ है
स्वच्छ जल मिलती यहाँ है
खेत खलिहानों से भरा पूरा गाँव है
यहाँ हर तरफ पेड़ो की छाँव है
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
हर त्यौहार को उल्लास से मनाते है
बड़े बड़े तालाबो में नहाने हम जाते है
पर्यावरण का  ख्याल हम रखते
पेड़ो की रखवाली हम करते
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा
बड़ो का यहाँ है आदर सम्मान
मुझको है अपने गाँव पे अभिमान
सादगी से सब जीवन जीते
गायो का पौष्टिक दूध सब पीते
सबसे प्यारा गाँव हमारा
हमको है प्राणों से प्यारा

मै असफल क्यों हु ? (Why am I failing)

मै बार बार असफल क्यों हो जाता हु 
बार बार ऐसी कौन सी गलती कर जाता हु 
शायद सफल होने के लिए पूरी ताक़त नहीं लगाता हु 
अधूरी तैयारी के साथ परीक्षा देने जाता हु 
अभ्यास करने में कामचोरी दिखाता हु 
इसलिए मै कुछ लिख नहीं पाता हु 
अब से पूरा अभ्यास करूँगा 
पूरी तैयारी के साथ ही परीक्षा दूंगा 
सभी प्रश्न मै हल करूँगा 
तब जाकर मै सफल होऊंगा

यादें (Memories)

कुछ पल बहुत याद आते है 
जो हमको तड़पा जाते है 
अपनी यादे  ताजा कर जाता हु 
आपको एक दास्ताँ सुनाता हु 
बात उस समय की है जब मै स्कुल जाया करता था 
तालाबो में मज़े से नहाया करता था 
दोस्तों में मेरा एक दोस्त था मुन्ना 
रहता था हरदम चौकन्ना 
हमेशा हसी मजाक किया करता था 
ज़िन्दगी को भरपूर जिया करता था 
लेकिन वक़्त ने ऐसी पलटी खाई 
उसने मौत को गले लगाई
जाने वो क्या कर गया 
हम दोस्तों के सीने में दर्द भर गया 
वो हमें आज भी याद आता है 
आँखों में आंसू दे जाता है 
कुछ पल बहुत याद आते है 
जो हमको तड़पा जाते है

जनसंख्या (Population)

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
खाद्द्यान्न संकट खड़ा हो गया
उर्जा संकट बढ़ा हो गया
भुखमरी चारो ओर बढ़ी
गरीबी की समस्या सामने खड़ी
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
बेरोजगारी हताशा ला रही
आर्थिक संकट की चिंता खाय जा रही
महंगाई तेजी से बढ़ रही
आम लोगो का जीना मुश्किल कर रही
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा
जनता को न्याय नहीं मिल रहा
जंगल काटे जाते है
पेड़ न कोई लगाते है
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
चारो ओर प्रदुषण बढ़ते जा रहा
नई नई बीमारिया फैला रहा
खतरे में है वन्यजीवों का जीवन
हो रहे रोज उनपर नए नए सितम
जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
हमें इन समस्यायों से निजात पाना होगा
जनसंख्या के बढ़ने पे अंकुश लगाना होगा
हमें कुछ तो कदम उठाना होगा
छोटा परिवार , सुखी परिवार का नारा लगाना होगा

Monday, 28 May 2012

इस बार की गर्मी (Summer of this time)

इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी
तपती धुप जला रही है
लू के थपेड़े झुलसा रही है
जंगल धू धूकर जल रहे है
ग्लेशियर के बर्फ पिघल रहे है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी  
ग्लोबल वार्मिंग के सही मायने समझा रही है
पेड़ो के कटने का दुष्परिणाम बता रही है
तेज हवा घरो के छत उड़ा रही है
धुल के गुब्बार बवाल मचा रही है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी
पंखे और कूलर के बिना दिन नहीं कट रहे है
राहगीर पेड़ो की छाव ढूंढ़ रहे है
पसीने से कपडे भीग जा रहे है
गर्मी से पानी उबल सा जा रहा है
इस बार की गर्मी जैसे
जान लेके जाएगी
ऐसा लग रहा है जैसे
ये कोई कयामत लाएगी  

Sunday, 27 May 2012

डर (Fear)

हर काम को पहली बार करने से डर लगता है
डर के कारण पसीना छूटने लगता है
जब मै पहली बार स्कुल गया मै डरा
जब मै पहली बार साइकिल चलाया मै डरा
जब मै पहली बार घर से बाहर के स्कुल में पढ़ा मै डरा
जब मै पहली बार कॉलेज गया मै डरा
नौकरी के लिए पहली बार साक्षात्कार में मै डरा
नौकरी में पहले दिन मै डरा
जब मै पहली बार बाइक में चढ़ा मै डरा
जब पहली बार शादी की बात हुई मै डरा
जब पहली बार लड़की देखने गया मै डरा
पहली बार जब किसी छोटे बच्चे को गोद में उठाया मै डरा
पहली बार जब भाषण दिया मै डरा
पहली बार बस की सवारी में मै डरा
पहली बार ट्रेन की सवारी में मै डरा
पहली बार कार की सवारी में मै डरा

गाँधी और भगत सिंह (Gandhi And Bhagat Singh)

मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी की सादगी मुझे भाती है
तो भगत की तीखी तेवर मुझे उकसाती है
गाँधी की सत्याग्रह मुझे पसंद है
तो कुर्बान होने की भगत के ललक में भी आनंद है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी का असहयोग सब पे भारी है
तो भगत के क्रांति के विचार के हम आभारी है
गाँधी का मौन उचित था
तो भगत का अंग्रेजो को डराना भी सही था
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी को महात्मा पुकारना अच्छा लगता है
तो भगत को शहीद -ए-आजम बुलाना सच्चा लगता है
गाँधी राष्ट्र के पिता है
तो भगत युवाओ के जान है
गाँधी और भगत दोनों महान है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु

Friday, 25 May 2012

देश की हालत

देख वतन का हाल
बहती है अश्क की धार
जनता को ही लुट रही
जनता की चुनी सरकार

अपराधियों से भरी संसद
कानून दिखती लाचार
रिश्वत की लत लगी सभी को
हर ओर फैला भ्रष्टाचार

चोर पुलिस है भाई भाई
आम जनता सहती अत्याचार
ईमानदारों का मुँह है बंद
बेईमानों को मिलता पुरुस्कार

जिसने भरा सबका पेट
वो सहता महंगाई की मार
अमीरों के साथ है दुनियां
गरीब हो गए है निराधार

छीन किसानों की जमीनें
हो गए कई मालदार
जिसने की आवाज़ बुलंद
पहुँच जाता है वो कारागार

रुकना नहीं (Don't Stop)

तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई  मेरे वतन से  खिलवाड़ करे नागवार करूँगा
न मै कोई जुल्म सहूंगा न ही सहने दूंगा 
हर जुल्म और अत्याचार का मुहतोड़ जवाब मै दूंगा
सर पे कफ़न  बांध जो निकला हु घर से
बिना मंजिल  पे पहुचे न आराम करूँगा
जो कोई भी  मेरा  रास्ता  रोकेगा 
उसका जीना मै हराम करूँगा    
तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई   मेरे  वतन  से खिलवाड़  करे  नागवार   करूँगा
मुझे पता है राह में मुश्किलें आएँगी बहुत
पर हर मुश्किलों पे अपनी जीत का परचम लहराऊंगा
हार न मानूंगा इन मुश्किलों से मै कभी
और दुनिया को मुश्किलों  से जीतना सिखलाऊंगा
तेरी हर वार को हथियार बना तुझपे ही उलटवार करूँगा
कोई मेरे  वतन से खिलवाड़  करे नागवार करूँगा

दहेज़ एक अभिशाप (Dowry System A Curse)

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

सपने संजोये बेटिया पिया के घर जाते है
पर दहेज़ के लोभी उसे बहुत रुलाते है
जब वह ये सब नहीं सह पाती है
तब आत्महत्या कर जाती है

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

देश के अन्दर आज अगर लडकिया न होगी
तो पत्नी और माएं भी न होगी
लडकियों को सम्मान और अधिकार दिलाना है
दहेज़ के छाप को लोगो के मन से मिटाना है

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

दिनोदिन लडकियों की संख्या में गिरावट आ रही है
क्युकी लोगो के दिलो में दहेज़ की चिंता सताए जा रही है
अगर दहेज़ की व्यवस्था हो जाये ख़तम
तो लडकियों और लडको की संख्या बराबर रहेगी हरदम

दहेज़ एक अभिशाप है
दहेज़ लेना और देना दोनों पाप है

Wednesday, 23 May 2012

माता पिता का साथ (With Parents)

माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
बहुत कुछ  सहकरके तुम्हे  बड़ा  किये  है
तुम्हे  अपने  पैरो  पर  खड़ा  किये  है
तुम्हारे  खुशियों  के  अलावा  कुछ  न  चाह रखते  है
तुम्हारे  मुस्कराहट  के  सिवा  कुछ  न  मांग  करते  है
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
खुद  से पहले  तुम्हे  खिलाते थे
जब  तुम  रोते  थे  तो  खुद  बच्चे  बन  जाते  थे
खुद  जागकर  तुम्हे  सुलाते  थे
घुटनों  में  बैठ  के  तुम्हे  चलना  सिखाते  थे
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना
शिक्षक  बन  तुम्हे  पढाया
दर्द  सहते  हुए  भी  तुम्हे  हसाया
तुम  इस  ओहदे  पर  पहुचे  हो
तुम्हे  इस  काबिल  बनाया
माता  पिता  का  कभी  साथ  न  छोड़ना
दिल  उनका  भूलकर  भी  न  तोडना

Tuesday, 22 May 2012

युवा(Youth)

देश की  मुख्य  स्तम्भ  है  युवा
क्रांति  के  अग्रदूत  है  युवा
देश  को  अगर  भ्रष्टाचार  से  मुक्ति  दिलाना  है
तो  इसके  लिए  युवाओ  को  आगे  आना है
ये  युवा  ही  नए  भारत  को  गड़ेंगे
जब  ये  मिलकर  एक  साथ  गरजेंगे
मेरे  नज़र  में  हर  वो  शख्स  युवा  है
जिनके  तन  तो  नहीं  विचार  जवा है
हे  युवाओ  मत  करो  बर्बाद  अपनी  जवानी
देश  की  खातिर  दो  तुम  क़ुरबानी
हर  अन्याय  का  तुम  मुहतोड़  जवाब  दो
हर  अत्याचारी  से  तुम  हिसाब  लो
मत  करना  अपना  जीवन  कलंकित
कमजोरो  को  न  करना  आतंकित
हर  शख्स  को  मिले  न्याय  ऐसी  व्यवस्था  तुम  करो
भ्रष्टाचारियो  और  अन्यायी  से  तुम  न  डरो
अपने  कर्मो  से  लिखो  ऐसा  गीत
हो  जाये  पूरा  भारत  समृध्द

Monday, 21 May 2012

पर्यावरण (Environment)

पर्यावरण को बचाना हमारा ध्येय हो
सबके पास इसके लिए समय हो
पर्यावरण अगर नहीं रहेगा सुरक्षित
हो जायेगा सबकुछ दूषित
भले ही आप पेड़ लगाये एक
पूरी तरह करे उसकी देखरेख
सौर उर्जा का करे सब उपयोग
कम करे ताप विद्युत् का उपभोग
रासायनिक खाद का कम करे छिडकाव
भूमि को प्रदूषित होने से बचाव
कचड़ो का समुचित रीती से करो निपटारा
फिर न होगी कोई नदी प्रदुषण का मारा
फैक्ट्रियो में जब सौर यन्त्र लगाई जाएँगी
वायु प्रदुषण में अपने आप कमी आएँगी
तब जाकर पर्यावरण प्रदुषण में कमी आएँगी
आधी बीमारिया अपने आप चली जाएगी 

मेरा बचपन (My Childhood)

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन
 
सोचता हु फिर से बच्चा बन जाऊ
धमा चौकड़ी फिर से मचाऊ
तोतली जबान से पापा पापा चिल्लाऊ
पर वो जादू की छड़ी कहा से लाऊ
जिससे फिर से बच्चा बन जाऊ

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन

मुझे बहुत याद आता है वो समय
जब दिनभर खेलता था दोस्तों के साथ होकर निर्भय
माँ के डाटने पर घर चला जाता था
खाना खाकर जल्दी सो जाता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन

भाइयो के साथ झगडा मचाता था
पापा के आने पर शांत हो जाता था
पहिये दौड़ाकर मै खेला करता था
पेड़ो की पतली  टहनियों पर चढ़ा करता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन
याद आता है मुझे मेरा बचपन

खिलौनों के लिए जिद किया करता था
जब मै मेलो में घुमा करता था
घुमने भैया के कंधो में बैठकर जाया करता था
मिठाईया और गुब्बारे लिवाया करता था

देखता हु जब बच्चो का लड़कपन 
याद आता है मुझे मेरा बचपन  

Sunday, 20 May 2012

मजदुर की अभिलाषा (wish of worker)

मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
मेहनत के बदले दो वक़्त की रोटी पाना
पढ़ा लिखाकर अपने बच्चो को
ऊँचे पदों पर पहुचाना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
बंगले गाड़ी का शौक नहीं
एक छोटी सी कुटिया और
परिवार के साथ जीना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
देश की उन्नति
राज्य की प्रगति
और गाँव की समृध्दी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
न हो भारत में कोई निर्धन
न हो किसी की भुखमरी से मौत
न हो कोई बेरोजगारी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु