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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday, 4 June 2012

मंजिल तो मिल ही जाती है (The goal is to get )

तुझे अब नहीं रोना है
समय एक पल भी नहीं खोना है

जो हुआ उसे भूल जा
लक्ष्य पर नज़रे टिका
कदम कदम बस बढते जा
लक्ष्य का नशा चढ़ा

पीछे मुड़कर न देख कभी
बाधाओं को पार कर जा सभी
हो दर्द तो मत कराह कभी
झेल जा दर्द सभी

हर मोह का तू त्याग कर
हमेशा के लिए बन जा निडर
सोचता है जो करके बता
दुनिया को जीत के दिखा

राह आसान होते जायेगा
जब तू हिम्मत से बढ़ता जायेगा
जो भी मुश्किल आएगा
तू जीतता चला जायेगा

बीते लम्हों का न कर अफ़सोस तू
भर अपने में जोश तू
कभी हार के रुकना नहीं
मुश्किलों में झुकना नहीं

मंजिल तो मिल ही जाती है
बस ज़रा सा तडपाती है

2 comments:

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