featured post

एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday, 8 June 2012

एक दोराहे पर खड़ा हु मै (I have been at a crossroad)

एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता अन्याय सहने पर मजबूर करता है
तो दूसरा अन्याय के विरुध्द लड़ने पर गुरुर करता है
एक रास्ता नियति पर भरोसा करता है
तो दूसरा अपनी किस्मत खुद लिखने पर
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता गुमनामी की तरफ ले जाता है
पर दुसरे में ज़िन्दगी का भरोसा नहीं
दुसरे रास्ते में मुश्किलें है बहुत
तो पहले में मंजिल का पता नहीं
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

एक रास्ता मोह में बांधे रखता है
तो दूसरा विरक्ति की ओर ले जाता है
एक रास्ता सुकून की ज़िन्दगी गुजारने वाला है
तो दूसरा हर पल नया करने वाला है
एक दोराहे पर खड़ा हु मै
समझ नहीं आ रहा किधर जाऊ

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है !