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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday, 20 July 2012

एक चिंगारी (A Spark)

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एक चिंगारी उठी है कहीं पे
फैलना चाह रही है बनके आग
मिटाने आयी है दुश्मनों को
कर देगी उनको सुपुर्देखाक

अभी तो उठ रहा है केवल धुआँ
लपटे निकलना तो अभी बाकी है
घासों से निकल रहा है ये धुआँ
सिंहासनो का जलना अभी बाकी है

बरसो बाद उठी है ये चिंगारी
लेके कई बलिदान
बड़ा भयंकर लगेगी  आग
लेके जायेगी कइयो कि जान 

रौशनी कि तलाश

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तलाशता हू रौशनी मै इस अँधेरी दुनिया में
अब तक तो लगी है बस निराशा हाथ
पर उम्मीदों पर टिकी है ये जहाँ
मै अपनी उम्मीदे कैसे छोड़ दू

जहा भी गया मिला बस अँधेरा
एक हल्का सा उजियारा भी न दिखाई दी
निकल आया हू बहुत दूर उसे ढूंढने
अपने को वापस कैसे मोड़ लू

रौशनी कि बाते सभी करते है मगर
अँधेरे में जीने कि सबको आदत है
रोज देखता हू सपना उसके मिल जाने की
वो हँसी सपना मै कैसे तोड़ दू 

भाग अधर्मी भाग(Run Impious run)

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भाग अधर्मी भाग
जनता के दिलो में लग चुकी है आग

तुने ही लुटा है इनको
तुने ही बांटा है इनको
आखिर कब तक सहते ये अन्याय
मिलाने आ रहे है तुझे खाक
भाग अधर्मी भाग
जनता के दिलो में लग चुकी है आग

गद्दी पे बिठाया तुझको
पर तुने रुलाया सबको
बहुत सह चुके अब
मांगने आ रहे है हर एक दर्द का हिसाब
भाग अधर्मी भाग
जनता के दिलो में लग चुकी है आग

झूठे किये थे तुने वादे
नेक नहीं थे तेरे इरादे
अपनी शक्तियों का किया दुरूपयोग तुने
जनता समझ चुकी है टरइ नियत आज
भाग अधर्मी भाग
जनता के दिलो में लग चुकी है आग 

Tuesday, 17 July 2012

आज़ादी के परवाने (Freedom Lovers)

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आज़ादी के परवाने, किसी से नहीं डरा करते
हो अगर बलिदान का वक्त, तो पीछे नहीं हटा करते
रहता है बस एक ही धुन, मुल्क कि आज़ादी
तोड़ देते है इसके लिए, ये सारे पाबन्दी

जनता पुकारती है इन्हें, कहकर शूरवीर
मिटा देते है दुश्मनों को, जैसे हो कोई लकीर
अपना सर्वस्व कर देते है, वतन पर अर्पण
अपनी अंतिम साँस तक, नहीं करते समर्पण

वीरो तरह ही जीते है, वीरो की तरह ही मरते है
अपनी पूरी जिंदगी, वतन के नाम करते है
घर बार सब त्यागकर, अकेले ही रहते है
अपने लहू से वतन का, रुद्राभिषेक करते है

अपनी हथियार उठा, जब करते है ललकार
दुश्मन थर थर कांपता है, और दिखते है लाचार
वतन पर शहीद होने को, रहते है ये आतुर
ऐसे वीर जवानो का, क्या कर लेंगे ये असुर

भेड़ कि खाल पहन लोमड़ी आया है ( A fox has come with lambskin)

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भेड़ कि खाल पहन लोमड़ी आया है
चारो तरफ लुट खसोट मचाया है
सभी जगह जाल बिछाया है
सबको बेवकूफ बनाकर माल खुद खाया है

मुह से मीठी वाणी बोलकर
छल कपट से काम लेता है
भाई बांधव क्या चीज़ है
ये हर किसी को दगा देता है

कई तरह के है चाले चलता
पर सबके सामने है भोला बनता
बहुत खतरनाक है इसका खेल
इसके कर्मो का शक्ल से नहीं है मेल

बड़ी चतुराई से है काम करता
जो इसके खिलाफ हो उसको यह बदनाम करता
अब तो इसको पहचान जाओ
अपनी कौम से इसे दूर भगाओ 

अकेला चल निकला हू

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अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर

चाह बस एक मंजिल पाने की
हौसला है सब कुछ गवाने की
हर सितम हँस के सह लूँगा
मुह से उफ़ तक न करूँगा

अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर

अगर साथ न मिला किसीका
तो भी बस बढता चलूँगा
अगर आया कोई तूफ़ान
तो उससे भी डटकर लडूंगा

अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर

अब तो मैंने लिया है ये ठान
मंजिल पर पहुचने पर ही होगा आराम
कदम बढाकर पीछे न हटूंगा
चाहे जो भी हो अंजाम

अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर


Monday, 16 July 2012

भारत माता की जय

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खून का हर एक कतरा पुकार रही है
भारत माता की जय, भारत माता की जय

है दुश्मन बलवान बहुत
धन भी है उसके पास अकूत
अब तो सोचता हू बस यही
कि करना है इनपर विजय

खून का हर एक कतरा पुकार रही है
भारत माता की जय, भारत माता की जय

है साथ मेरे चंद लोग
पर भीड़ बड़ी है उनकी
पुकार रहा है दिल आज ये
बलिदान का आ गया है समय

खून का हर एक कतरा पुकार रही है
भारत माता की जय, भारत माता की जय

है बैरी को अपने ताकत पर घमंड बड़ी
हो गया है तानाशाह वह पूरी
सामना करने को तैयार हू मै खड़ा
अब तो हो चूका हू मै निर्भय

खून का हर एक कतरा पुकार रही है
भारत माता की जय, भारत माता की जय





आवारा मन (Maverick Mind)

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आवारा मन न जाने क्यों भटकता है
कभी इस गली तो कभी उस गली टहलता है

कभी बर्फीले पहाड़ पर होता है
तो कभी समंदर के बीच
कभी इसे फूलों कि सुगंध भाती है
तो कभी घनघोर जंगल डराती है

आवारा मन न जाने क्यों भटकता है
कभी इस गली तो कभी उस गली टहलता है

कभी उड़न खटोले पर होता है
तो कभी झीलों में नाव कि सैर करता है
कभी सुनता है नदियों कि कल कल
तो कभी देखता है मौसम कि हलचल

आवारा मन न जाने क्यों भटकता है
कभी इस गली तो कभी उस गली टहलता है

कभी रिमझिम बारिश में भीगता है
तो कभी ठण्ड से सिहरता है
कभी हरियाली इसे लुभाती है
तो कभी गर्मी इसे झुलसाती है

आवारा मन न जाने क्यों भटकता है
कभी इस गली तो कभी उस गली टहलता है


कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है (There is yet to fulfill some desires )

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कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
ठंडी बहती हवाओ में
दूर तक फैले झील में
दुधिया चांदनी रात में
नाव कि सैर अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
चारो ओर सुन्दर खिले फुल हो
पेडों की छाया इतनी घनी हो
कि दूर तक धुप न पहुचे जमीं पर
ऐसे घनघोर जंगल का भ्रमण अभी बाकी है
कुछ हसरते अभी पूरी करनी बाकी है
बर्फ कि चादर बिछी हो
ओलो कि बारिश जहाँ हो
ऊँची ऊँची पर्वत चोटियाँ घिरी हो
ऐसी जगह जाना अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है 

Sunday, 15 July 2012

मै मुसाफिर हू (I am a traveler)

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पथरीली राहों का मै मुसाफिर हू
मेरी राह में नुकीले कांच भी है और कांटे भी
चलना है इनपर मुझे नंगे पाँव
राह में न है कोई ठहराव और न कोई पेडों कि छाँव

मैंने ये राह अपनी मर्ज़ी से चुनी है
क्योकि मन में कुछ कर गुजरने कि ठनी है
शाम ढलते तक मंजिल में पहुचनी है
क्योकि राह में न चांदनी है न रौशनी है

चिलचिलाती धुप है
न पानी है न जूस है
पाँव दर्द से रो रहा है
पर मन हौसला न खो रहा है

राह बीच एक घनघोर जंगल है
पर न लाठी है न बन्दुक है
मेरा हौसला मेरा डर भगा रही है
मंजिल कि ओर लिए जा रही है 

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू

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एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

याद आ रहा है वो पल सुहाना
तोतली जबान से माँ को बुलाना
घुटनों के बल रेंगना
भईया के साथ खेलना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

बारिश में झूला झुलना
पापा के कंधो में घूमना
अनमने मन से स्कुल जाना
फिर दौड़ते हुए घर आना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू

बहाने बनाकर स्कुल न जाना
बारिश कि पानी में कागज कि नाव चलाना
दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाना
मस्ती में डूबकर नाचना गाना

एक हँसी ख्वाब मै बुन रहा हू
बीते लम्हों से कुछ अच्छे लम्हे चुन रहा हू


बेवफाई bewafai

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बेवफाई ये कैसी कि है तुने
लुट के ले गई मेरा चैन और सुकून सारा
जाना ही था तो आई क्यों जिंदगी में
बड़ा दर्द दे रहा है ये खेल तुम्हारा

जान देते थे हम तेरी एक हँसी के लिए
तेरी हर मुस्कराहट था हमको प्यारा
जाने तुमने क्या सोचकर ये कदम उठाया
तुम न जाती तो एक सुन्दर सा घर होता हमारा

तेरे दिए दर्द से आँसू न रुक रहे है मेरे
तेरी जुदाई ने हर खुशियों को है मारा
तेरी याद मुझे तड़पा रही है
ढूँढ रहा हू मै कोई सहारा

दूर क्यों हो लौट आओ तुम
इंतज़ार है अभी भी समझ लो ये इशारा
तेरे लिए बदला था मैंने अपने को
ऐसा ही रहा तो कही मर न जाऊ मै  कुंवारा 

Saturday, 14 July 2012

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए

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शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

उतर आया है इस जमीं पे आज
भगवान भी मानव बनकर
अपने सद्कर्मो से
भारत के लोगो का, सोये भाग्य जगाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

बहुत सह लिए अन्याय हम
दर्द अब नहीं हो रहा कम
मानवता का निकल रहा दम
निकले है चंद लोग, भारत को बचाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए

आँखें मुंदी सरकार है
अब चुप बैठना बेकार है
मिटने को हम तैयार है
समय आ पंहुचा है, इस देश पर कुर्बान हो जाने के लिए

शंखनाद है हो चूका, आज़ादी पाने के लिए
इस सम्पूर्ण भारत को, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए


एक अजीब सी बेचैनी छाई है

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एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

डूबा रहता हू तेरी यादों में दिनभर
जीना हो गया है मेरा दुर्भर
जब तक तू मुझसे जुदा रहेगी
तन्हाइयों में डूबा ये फिजा रहेगी

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

तेरी यादें ही मुझे जिंदा रखी है
कभी खुशी तो कभी आँखों में आँसू देती है
तुझे भुलाने कि कोशिश कि मैंने बहुत
पर तू कभी ख्वाब तो कभी याद बनकर हर वक्त साथ रही है

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है

आँखें इंतज़ार कर रही है तेरे आने की
दिल भूल नहीं पाया है दर्द तेरे जाने की
अब तो लौटकर आ जा
मेरे दिल को यु इतना न तड़पा

एक अजीब सी बेचैनी छाई है
तेरी जुदाई तन्हाई ले के आई है


आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है (Today life is testing again)

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आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

घिरा हू मुश्किलों से मै अब
सबसे ज्यादा जरुरत थी तब
साथ छोड़ गए है सब
अब तो आँसू भी न रुक रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

जाने कितनी लंबी होगी ये काली रात
समझ आ रहा है केवल एक बात
सहना है मुझे वो सब जो हो रहा मेरे साथ
रुकना नहीं है राह में ये दिल मुझसे कह रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है

कई कांटे चुभे है पांव में
चैन नहीं है अब पेड़ों कि छाँव में
समतल सडको में भी फिसल जा रहे है हम
सुकून देती थी जो अब वो भी दर्द जिंदगी में भर रही है

आज जिंदगी फिर इम्तिहान ले रही है
सौगात ग़मों का एक साथ दे रही है


Monday, 9 July 2012

आग (Fire)

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धधक रही है आग
उड़ा रही है राख
पूरी दुनिया में फैलने को
बेकरार है ये आग

जो भी इस आग के सामने आएगा
ख़ाक में मिल जाएगा
मामूली नहीं है ये आग
कह रही है ये राख

बरसो बाद जली है ये
कांटो में पली है ये
अब बुझने वाली नहीं है ये आग
जब तक दुश्मनों को न कर दे सुपुर्देखाक

परिवर्तन ले के आई है ये
दुनिया को बदल जायेगी ये
एक नई व्यवस्था लाने
आई है ये आग