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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday, 9 July 2012

आग (Fire)

धधक रही है आग
उड़ा रही है राख
पूरी दुनिया में फैलने को
बेकरार है ये आग

जो भी इस आग के सामने आएगा
ख़ाक में मिल जाएगा
मामूली नहीं है ये आग
कह रही है ये राख

बरसो बाद जली है ये
कांटो में पली है ये
अब बुझने वाली नहीं है ये आग
जब तक दुश्मनों को न कर दे सुपुर्देखाक

परिवर्तन ले के आई है ये
दुनिया को बदल जायेगी ये
एक नई व्यवस्था लाने
आई है ये आग 

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