अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
चाह बस एक मंजिल पाने की
हौसला है सब कुछ गवाने की
हर सितम हँस के सह लूँगा
मुह से उफ़ तक न करूँगा
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
अगर साथ न मिला किसीका
तो भी बस बढता चलूँगा
अगर आया कोई तूफ़ान
तो उससे भी डटकर लडूंगा
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
अब तो मैंने लिया है ये ठान
मंजिल पर पहुचने पर ही होगा आराम
कदम बढाकर पीछे न हटूंगा
चाहे जो भी हो अंजाम
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
चाह बस एक मंजिल पाने की
हौसला है सब कुछ गवाने की
हर सितम हँस के सह लूँगा
मुह से उफ़ तक न करूँगा
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
अगर साथ न मिला किसीका
तो भी बस बढता चलूँगा
अगर आया कोई तूफ़ान
तो उससे भी डटकर लडूंगा
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
अब तो मैंने लिया है ये ठान
मंजिल पर पहुचने पर ही होगा आराम
कदम बढाकर पीछे न हटूंगा
चाहे जो भी हो अंजाम
अकेला चल निकला हू इस राह पर
जानते हुए भी कि मुश्किलों से भरी है मेरी ये डगर
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