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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday, 16 July 2012

कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है (There is yet to fulfill some desires )

कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
ठंडी बहती हवाओ में
दूर तक फैले झील में
दुधिया चांदनी रात में
नाव कि सैर अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है
चारो ओर सुन्दर खिले फुल हो
पेडों की छाया इतनी घनी हो
कि दूर तक धुप न पहुचे जमीं पर
ऐसे घनघोर जंगल का भ्रमण अभी बाकी है
कुछ हसरते अभी पूरी करनी बाकी है
बर्फ कि चादर बिछी हो
ओलो कि बारिश जहाँ हो
ऊँची ऊँची पर्वत चोटियाँ घिरी हो
ऐसी जगह जाना अभी बाकी है
कुछ हसरते पूरी करनी अभी बाकी है 

2 comments:

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