कदम बढ़ा तो साथी संग हमारे
नदियों की धार पलट जायेंगे
क्यों डरता है इन तानाशाहों से
इनके तो तख़्त और ताज उलट जायेंगे
कब तक सहेगा ये जुल्म और सितम
उठा संग हाथ हमारे सितमगर दूर छिटक जायेंगे
लुट रहे है ये सदियों से हमें
इनकी तिजौरियो में हमारे ताले लटक जायेंगे
अगर हम यूँही चुपचाप बैठे रहे
तो आने वाली पीढ़ी को क्या मुँह दिखायेंगे
इसलिए लगा आज संग जयघोष के नारे
दीवारों में भी दरारें पड़ जायेंगे
अभी भी वक्त है साथी युग बदलने का
मंजिल मिले ना मिले कोशिश तो करके जायेंगे
इस जंग ए आजादी में गई जान अगर
तो सदियों तक याद रखे जायेंगे
नदियों की धार पलट जायेंगे
क्यों डरता है इन तानाशाहों से
इनके तो तख़्त और ताज उलट जायेंगे
कब तक सहेगा ये जुल्म और सितम
उठा संग हाथ हमारे सितमगर दूर छिटक जायेंगे
लुट रहे है ये सदियों से हमें
इनकी तिजौरियो में हमारे ताले लटक जायेंगे
अगर हम यूँही चुपचाप बैठे रहे
तो आने वाली पीढ़ी को क्या मुँह दिखायेंगे
इसलिए लगा आज संग जयघोष के नारे
दीवारों में भी दरारें पड़ जायेंगे
अभी भी वक्त है साथी युग बदलने का
मंजिल मिले ना मिले कोशिश तो करके जायेंगे
इस जंग ए आजादी में गई जान अगर
तो सदियों तक याद रखे जायेंगे
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