हम यकीन करे भी तो, किसपर करे
यहाँ लोग दौलत के लिए, अपनों से दगा कर जाते है
शराफत का चोला पहन, घूमते लोग
बस्तियां उजाड़ते, नज़र आते है
लोग कहते है जिसे, सच्चाई की मूरत
वही लोगो से, ठगी करते हुए पाए जाते है
रक्षक का तमगा ओढ़, फिरते है जो शान से
भक्षक की तरह काम करते, नज़र आते है
जनता की सेवा के लिए, सिंहासन पर बिठाया जिसे भी
वही तानाशाहों की तरह, हुक्म फरमाते है
जिन माँ-बाप ने मुश्किलों में पाला हमें
लोग उन्ही माँ-बाप को, सड़क पर छोड़ जाते है
सुबह शाम धर्म की बात करनेवाले
अपनी तिजौरियों में, दान का पैसा छुपाते है
पहरेदारी करना है जिनका काम
वही चोरों से हिस्सा मांगते, नज़र आते है
सच आज किसी पर यकीं करना बड़ा ही मुश्किल है ...
ReplyDeleteयकीं करो उस खुदा पर
Deleteजिसने तुम्हे जमीं पर भेजा है
यकीं करो अपने हौसले पर
जिसने तुम्हे ये मुकाम दिया है