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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Tuesday, 7 August 2012

देशभक्तों कि गली (Street of Patriots)

आज चल निकला हू उन गलियों पर
जहाँ जय हिंद और वंदे मातरम का नारा बुलंद होता है
जहाँ देशभक्ति के गीत गाये जाते है
भारत माता में शीश चढ़ाये जाते है

रग रग में बसा होता है देशभक्ति जहाँ
मिलते है जुनूनी लोग यहाँ
जहाँ कटा सिर भी भारत माता कि जय पुकारता है
जहाँ लहू का हर एक कतरा दुश्मन को ललकारता है

हर एक दिल में आग लगी होती है
आज़ादी पाने कि प्यास जगी होती है
यहाँ हर कोई अपने बलिदान को आतुर दिखता है
अपने लहू से इतिहास का पन्ना लिखता है

जहाँ सिर्फ देशभक्ति कि बाते बोली जाती है
हर एक बलिदान को दुश्मनों के कटे सिरों से तोली जाती है
है मकसद जहाँ कि सम्पूर्ण आज़ादी
चाहे देनी पड़े कितनी भी कुर्बानी 

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