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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Saturday, 11 August 2012

जुदाई (Separation)

तन्हा छोड़ हमें वो जो चली गई
आँखों को मेरे आंसुओ कि सौगात दे गई

कुछ सुहाने पलों को याद कर, मुस्कुरा लेते है हम
आंसुओ कि धारा बहा, भुला लेते है उसके जाने का गम
उसने वादा किया था, हर पल साथ निभाने का
पर न जाने उसने कदम क्यों उठाया दूर जाने का

तन्हा छोड़ हमें वो जो चली गई
आँखों को मेरे आंसुओ कि सौगात दे गई


हम तो जिंदा है उसके यादो के सहारे में
पर वो जा बैठी है उस किनारे में और हम है इस किनारे में
जीने का सपना देखा था जो उसके साथ
पर वक्त बेरहम ने अलग कर दिए हमारे हाथ

तन्हा छोड़ हमें वो जो चली गई
आँखों को मेरे आंसुओ कि सौगात दे गई


उसकी हर एक बात याद आती है
जुदाई उसकी बड़ा तडपाती है
उसके आने का इंतज़ार आज भी है
उससे मिलने को दिल बेकरार आज भी है

तन्हा छोड़ हमें वो जो चली गई
आँखों को मेरे आंसुओ कि सौगात दे गई




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