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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday, 1 July 2012

बाढ़ (Flood)

ये जो तबाही है
जो बाढ़ लेके आयी है
हर ओर बस पानी दिखता है
फिर कुछ न मन में सूझता है
जलमग्न हो गए है सब घर
हो गए है लाखो बेघर
कोई अपना बच्चा ढूंड रहा है
तो कोई अपनी माँ तलाश रहा है
देखते है हम जब इधर उधर
पानी में बह लाश रहा है
कई लोग पेडों के ऊपर है
संग सांप और अजगर है
कई उपरी टीले में बैठे है
भोजन कि आस में कई दिनों से भूखे है
राहत कार्य जब पहुंचा उनके पास
तब आयी उनके साँस में साँस
हो चुके थे सब उदास
अब जगी है जीने कि आस

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