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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Tuesday, 19 June 2012

परीक्षा

परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

बड़ी बड़ी किताबों में छोटे छोटे नियम
रेत के ढेर में सुई ढूढने जैसे करम
पास्कल का नियम हो या न्यूटन का
ये सब कारण है हमारे घुटन का
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

रेखागणित समझ नहीं आता
प्रश्न हल करते वक़्त है अँधेरा छाता
इतिहास तो नहीं होता याद
आखिर किससे करे हम फरियाद
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

भूगोल के अक्षांश देशांश
करते है हमको परेशान
संस्कृत के शब्द है कठिनतम
जिसको याद नहीं कर पाते हम
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

अंग्रेजी का बोझ भारी है
क्योकि परायी भाषा ये हमारी है
हिंदी हमको प्यारी है
क्योकि मातृभाषा ये हमारी है
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

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