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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Wednesday, 20 June 2012

पर खुद को बदलने से मै डरता हु (I have been afraid of changing myself)

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

परिवर्तन तो तब आएगा
जब ऐशो आराम की ज़िन्दगी को छोड़ा जायेगा
दर्द के साथ जीना होगा
हर गम को पीना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

ज्ञान को बढाना होगा
अज्ञानता को दूर भगाना होगा
अग्निपथ पे बढते जाना होगा
मुश्किलों से टकराना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

सादा जीवन बिताना होगा
उच्च विचार बनाना होगा
माया मोह का त्याग कर जाना होगा
सन्यास धर्म अपनाना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु


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