प्रकृति बाते करती है मुझसे
पानी कहती है
जिस रंग में मिलो उस रंग का हो जाओ
बादल कहती है
सुखा मिटाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
हवा कहती है
बढते चले जाओ
आग कहती है
दुसरो के लिए अपने को जलाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पर्वत कहती है
अपने को ऊपर उठाओ
पेड़ कहती है
दुसरो को शीतलता पहुचाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पानी कहती है
जिस रंग में मिलो उस रंग का हो जाओ
बादल कहती है
सुखा मिटाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
हवा कहती है
बढते चले जाओ
आग कहती है
दुसरो के लिए अपने को जलाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पर्वत कहती है
अपने को ऊपर उठाओ
पेड़ कहती है
दुसरो को शीतलता पहुचाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
bahot achchi kavita h......
ReplyDeleteNice poem help me in recitation.
ReplyDeleteGood
DeleteWow........
ReplyDeletewah...wah ...... this poem is great!! :-)
ReplyDeletethis poem is good but not much interesting
ReplyDeletethis poem is good but not much interesting
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