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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday, 24 June 2012

शादी (Marriage)

शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

ये तो दो परिवारों का संगम है
दृश्य शादी का तो विहंगम है
दो परिवार एक हो जाते है
मन में कई सपने सजाते है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

दुल्हे को अच्छी दुल्हन की तलाश होती है
तो दुल्हन को दुल्हे से बहुत सी आस होती है
सज धज के दूल्हा दुल्हन लेने आता है
संग दिल में कई अरमान लाता है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

बेटी बाबुल का घर छोड़ पिया घर जाती है
परायी घर को अपना बनाती है
आँख में आंसू मन में संकोच होती है
बाबुल का घर हमेशा के लिए खोती है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

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