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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Monday, 25 June 2012

सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र (It is a conspiracy hatched by some politicians)

सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जाति पाति और धर्म का भेद बढ़ाते है
हमें आपस में लड़ाते है
वोट की राजनीती कर भरपूर फायदा उठाते है
और चुनाव जीतकर संसद में पहुच जाते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

गुंडागर्दी करते न आती इनको शरम
भ्रष्टाचार करना है इनका प्रमुख करम
मुनाफावसूली को देते है बढावा
रिश्वत लेना है इनका प्रमुख चढ़ावा
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जनता का पैसा अपने अय्याशी में उड़ाते है
बिना मतलब के विदेश दौरे में जाते है
उद्द्योगपतियो को पैसो के लिए धमकाते है
कुछ छोटे मोटे काम कर अपने को धर्मात्मा बताते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र  

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