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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday, 27 May 2012

गाँधी और भगत सिंह (Gandhi And Bhagat Singh)

मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी की सादगी मुझे भाती है
तो भगत की तीखी तेवर मुझे उकसाती है
गाँधी की सत्याग्रह मुझे पसंद है
तो कुर्बान होने की भगत के ललक में भी आनंद है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी का असहयोग सब पे भारी है
तो भगत के क्रांति के विचार के हम आभारी है
गाँधी का मौन उचित था
तो भगत का अंग्रेजो को डराना भी सही था
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु
गाँधी को महात्मा पुकारना अच्छा लगता है
तो भगत को शहीद -ए-आजम बुलाना सच्चा लगता है
गाँधी राष्ट्र के पिता है
तो भगत युवाओ के जान है
गाँधी और भगत दोनों महान है
मै जितना गाँधी को जानता हु
उतना ही भगत सिंह को भी मानता हु

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