आँखों में कोई सपना ना हो, तो जीने का मज़ा क्या है ?
सपने के लिए बरबाद हुए, तो इसमें खता क्या है ?
लोग कहते है पागल मुझे, मेरे हालात पर हँसते हुए
इस पागल ने कुछ कर दिखाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
यूँ तो दर्द में आँसू निकल आते है सबके
पर दर्द में मुस्कुराया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
यहाँ तो सब ही जीते है अपने ही लिए
दूसरों का दर्द भुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
थम जाती है साँसे हर रोज हजारों के, कुछ लोग होते है जनाजे के लिए
अपनी मैय्यत पर लाखो को रुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
सपने के लिए बरबाद हुए, तो इसमें खता क्या है ?
लोग कहते है पागल मुझे, मेरे हालात पर हँसते हुए
इस पागल ने कुछ कर दिखाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
यूँ तो दर्द में आँसू निकल आते है सबके
पर दर्द में मुस्कुराया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
यहाँ तो सब ही जीते है अपने ही लिए
दूसरों का दर्द भुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
थम जाती है साँसे हर रोज हजारों के, कुछ लोग होते है जनाजे के लिए
अपनी मैय्यत पर लाखो को रुलाया नहीं, तो जीने का मज़ा क्या है ?
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..मन को छू गयी .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (22-05-2013) कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252
में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर
ReplyDeleteआप सबका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteNormally I do not learn post on blogs, but I would like to say that this write-up very compelled me to try and do so!
ReplyDeleteYour writing style has been amazed me. Thank you, quite great article.