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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday, 9 November 2012

सवाल

किसने कतरें पर उन परिंदों के
उड़ते थे जो दूर आसमान ?
लहूलुहान दिखती है धरती
किसने दिया ये क़त्ल का फरमान ?

है कौन यहाँ इतना बेरहम
जिसको है खून की प्यास ?
क्यों मिट गया उसके अंदर
दूसरों के दर्द का अहसास ?

तड़पती जानों को देख
कौन यहाँ मज़ा ले रहा है ?
बेगुनाहों को सज़ा ए मौत
कौन यहाँ दे रहा है ?

क्रूरता सहन की सीमा से पार हुई
पर सब खड़े क्यों मौन ?
खून से सनी तलवार जिसकी
पूछते है सब, वो है कौन ?

5 comments:

  1. है कौन यहाँ इतना बेरहम
    जिसको है खून की प्यास ?
    क्यों मिट गया उसके अंदर
    दूसरों के दर्द का अहसास ?

    बहुत सुन्दर.

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  2. आपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (10-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. शुक्रवार, 9 नवम्बर 2012

    सवाल
    किसने कतरें पर उन परिंदों के
    उड़ते थे जो दूर आसमान ?
    लहूलुहान दिखती है धरती
    किसने दिया ये क़त्ल का फरमान ?

    है कौन यहाँ इतना बेरहम
    जिसको है खून की प्यास ?
    क्यों मिट गया उसके अंदर
    दूसरों के दर्द का अहसास ?

    तड़पती जानों को देख
    कौन यहाँ मज़ा ले रहा है ?
    बेगुनाहों को सज़ा ए मौत
    कौन यहाँ दे रहा है ?

    क्रूरता सहन की सीमा से पार हुई
    पर सब खड़े क्यों मौन ?
    खून से सनी तलवार जिसकी
    पूछते है सब, वो है कौन ?

    दहशत गर्दी पे बेहतरीन आलेख है यह रचना .बधाई चर्चाका.
    रा को जिन्होंने आपको पढ़वाया .

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  4. धन्यवाद वंदना जी जो आपने इस कविता को चर्चा के लायक समझा !धन्यवाद अमित जी, विरेन्द्र जी, निलांश जी जो आपको मेरी कविता पसंद आयी !

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