याद आता है वो मंजर
जब कहर ढाया था समंदर
लहरों में थी उफान
आ गया था एक तूफ़ान
ऊँची लहरों ने किया प्रवेश
जैसे हो तबाही का श्री गणेश
गाँव हो या शहर
सब पर बरसा कहर
गाँव शहर सब डूबा लिया
मिट्टी में सबको मिला दिया
चली गई हजारों जान
गाँव शहर कर गया शमशान
सुनामी है इस कहर का नाम
बड़ी डरावनी है इसकी पहचान
रुंह तक काँप जाती है
जब जिक्र सुनामी की आती है
जब कहर ढाया था समंदर
लहरों में थी उफान
आ गया था एक तूफ़ान
ऊँची लहरों ने किया प्रवेश
जैसे हो तबाही का श्री गणेश
गाँव हो या शहर
सब पर बरसा कहर
गाँव शहर सब डूबा लिया
मिट्टी में सबको मिला दिया
चली गई हजारों जान
गाँव शहर कर गया शमशान
सुनामी है इस कहर का नाम
बड़ी डरावनी है इसकी पहचान
रुंह तक काँप जाती है
जब जिक्र सुनामी की आती है
बहुत सुन्दर कविता
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अपने ब्लॉग को ई-पुस्तक में बदलिए
धन्यवाद विनय जी
DeleteGreat readding your blog
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