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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday, 22 July 2012

शहीद का परिवार (Family of martyr)

माँ कि नज़रे टिकी थी राह पर
वीर पुत्र के आने के इंतज़ार में
वो आया भी तो तिरंगे में लिपटकर
माँ के आँखों में आँसू भर गया

बाप के कंधो में खेला बड़ा हुआ
आज बाप के कंधो में ही विदा हो चला
रहेगा याद हमेशा लोगो को वो
लो आज एक और वीर शहीद हो गया

जब तक जिया, जिया वो शान से
आज मरने पे भी, शान में न कमी आई
वीरो कि तरह लड़ा, न झुका, न डरा
अपनी अमरता का, लोगो को सन्देश दे गया

बिलखती माँ पुकार रही है, बेटा तू लौट आ
गहरी नींद में सोया है वो, न आएगा कभी
बावरी हो गई बेवा उसकी, कह रही है
मुझको भी साथ ले जाता, अकेले क्यों चला गया 

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