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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Friday, 18 May 2012

मंजिल (Destination)

हौसला रख वो समय भी आएगा
जब तू अपनी जीत का परचम लहराएगा
हर बुराई तुझसे हार जायेगा
हर अच्छाई तुझसे जुड़ता चला जायेगा
वैसे तो रास्ते में बाधाएं आएँगी बहुत
लेकिन तेरे धीरज से वो दूर होते चले जायेगा
रुकना न तू कभी हार के
बाधाओं को फेंक दे उखाड़ के
मेहनत कर तू लगन से
पर्वत को भी तू मैदान कर जायेगा
मंजिल अभी दूर है मगर बढते चल
आज नहीं तो कल मिल ही जायेगा

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