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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Thursday, 30 August 2012

है सड़क पर आज हम (We are on the road)

है सड़क पर आज हम, मांगने हमारा हक
मांग अगर मानी नहीं गई तो, कर देंगे तख्ता पलट

कर रहे ललकार आज, एक सुर और एक ताल में
हिल रही है तानाशाहों कि गद्दी, हमारे हर हुंकार से

हाथो में तिरंगा है और होठो पे वंदे मातरम बसा
झूठे वायदों से हमको, इन्होने हर रोज ठगा

अबकी जो जागे है तो, कुछ कर के ही जायेंगे
हर हैवानियत और जुल्म को, जड़ से मिटायेंगे

क़र्ज़ धरती माँ का जो हम पर है, आज उतारने है आये
बढ़ गए है जो अब ना रुकेंगे, चाहे प्राण निकल जाए 

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