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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Wednesday, 13 June 2012

कि देश आज बलिदान मांग रहा है (The country is asking for sacrifice)

कि देश आज बलिदान मांग रहा है
रिश्वतखोरी हो रही आज हर जगह
दे रहा आज हर व्यक्ति एक दुसरे को दगा
भ्रष्टाचारियो को मिले जल्दी सजा
ऐसा अंजाम मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
चारो ओर हाहाकार मचा है
जुल्म के खिलाफ बोलना एक सजा है
न्याय मिले हर किसी को
ऐसा संविधान मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है
महंगाई लोगो को तडपा रही है
कीमते आसमान छू जा रही है
मुनाफाखोरी पर लगे पूरी रोक
ऐसा कानून मांग रहा है
कि देश आज बलिदान मांग रहा है

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